ब्रेकिंग
जहानाबाद दोहरे हत्याकांड में सात आरोपियों को सश्रम आजीवन कारावास डोनियर ग्रुप ने लॉन्च किया ‘नियो स्ट्रेच # फ़्रीडम टू मूव’: एक ग्रैंड म्यूज़िकल जिसमें दिखेंगे टाइगर श... छात्र-छात्राओं में विज्ञान के प्रति रुचि जागृत करने हेतु मनी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस राबड़ी, मीसा, हेमा यादव के खिलाफ ईडी के पास पुख्ता सबूत, कोई बच नहीं सकता “समान नागरिक संहिता” उत्तराखंड में लागू - अब देश में लागू होने की बारी नगरनौसा हाई स्कूल के मैदान में प्रखंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का हुआ आयोजन पुलिस अधिकारियों व पुलिसकर्मियों को दिलाया पांच‌ प्रण बिहार में समावेशी शिक्षा के तहत दिव्यांग बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ : राधिका जिला पदाधिकारी ने रोटी बनाने की मशीन एवं अन्य सामग्री उपलब्ध कराया कटिहार में आरपीएफ ने सुरक्षा सम्मेलन किया आयोजित -आरपीएफ अपराध नियंत्रण में जागरूक करने के प्रयास सफ...

सिटिंग जाब के कारण बढ़ रहे सिजेरियन डिलीवरी के मामले

इंदौर। आजकल की महिलाएं ज्यादातर दफ्तरों में काम करती हैं या बिजनेस भी करती हैं तो उसमें भी काफी समय उन्हें बैठकर काम करना पड़ता है। इसका असर यह होता है कि जब वे बच्चे को जन्म देने वाली होती हैं तब उनकी डिलीवरी में काफी परेशानियां आती हैं। जो महिलाएं ज्यादा सिटिंग जाब में होती है उनमें से अधिकांश को सिजेरियन करने की नौबत आती है। हालांकि दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में 90 प्रतिशत महिलाओं का प्रसव सामान्य ही हो रहा है। यह बातें रविवार को फाग्सी वेस्ट जोन वाइस प्रेसिडेंट कांफ्रेंस में विशेषज्ञों ने कही।

मेटरनिटी हेल्थ की डिप्टी डायरेक्टर डा. अर्चना मिश्रा ने कहा प्रदेश में 90 प्रतिशत महिलाओं का प्रसव सामान्य हो रहा है। यदि हम बात करें शासकीय और निजी अस्पतालों की तो 10.6 प्रतिशत ही सिजेरियन से बच्चे का जन्म हो रहा है। शासकीय अस्पताल में 90 प्रतिशत महिलाएं प्रसव के लिए आती हैं। वहीं 10 प्रतिशत निजी अस्पताल में जाती हैं। निजी अस्पताल में सिजेरियन का एक कारण यह भी है कि परिवार के लोग रिस्क नहीं लेना चाहते हैं।

वह डाक्टरों से ही कह देते हैं कि हमें सिजेरियन करवाना है। कोई भी डाक्टर यह कभी नहीं चाहता है कि किसी महिला की डिलीवरी सिजेरियन से हो, उनका हमेशा यही प्रयास रहता है कि सामान्य हो। इस तीन दिवसीय कांफ्रेस में न्यूनतम आक्रामक सर्जरी, स्क्रीनिंग तकनीक, शेपिंग द इंफर्टिलिटी प्रैक्टिस, मेडिको लीगल सेफ्टी आदि विषयों पर देश-विदेश से आए विशेषज्ञों ने चर्चा की।

कांफ्रेंस में डा. ज्योति सिमलोट ने बताया कि बदलती जीवनशैली और खानपान के कारण सिजेरियन के मामले बढ़ रहे हैं। आजकल महिलाएं सिटिंग जाब ज्यादा कर रही हैं। इसके साथ ही सिजेरियन का एक कारण मोटापा भी है। घरेलू काम जैसे झाड़े, पौछा अब बैठकर नहीं किया जाता है। खाना भी टेबल पर बैठकर ही खाने लगे हैं। इसके अलावा सामान्य डिलीवरी के कुछ व्यायाम होते हैं, वह भी महिलाएं नहीं कर रही हैं। यदि गर्भवती महिलाएं विशेषज्ञों की सलाह से जीवनशैली और खानपान का ध्यान रखें तो सामान्य डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।

लाइव बताया जटिल केस हल करना

डा. आशा बक्षी ने बताया कि कांफ्रेस में नई इलाज तकनीक पर विशेषज्ञों ने चर्चा की। साथ ही जटिल केस का निराकरण कैसे किया जाए यह लाइव बताया। गर्भस्थ शिशु की सोनोग्राफी से उसकी कौन सी बीमारियां पता लग सकती हैं और कौन सीन सी ठीक हो सकती है, इसपर भी चर्चा हुई।

इसके साथ ही पब्लिक अवेयरनेस कार्यक्रम और स्तन कैंसर जागरूकता के लिए रैली भी निकाली गई। इंग्लैंड से आईं डा. रानी ठक्कर ने डिलीवरी के समय होने वाली इंजुरी को ठीक करने के बारे में जानकारी दी। इस दौरान डा. ऋषिकेश पाल, डा. सुमित्रा यादव, डा. अनुपमा दवे आदि मौजूद थे।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.