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बैनर छापते-छापते छापने लगा ‘वीजा’, खड़ा कर दिया 100 करोड़ का फर्जी कारोबार

दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही है. हवाई यात्रा से लेकर सरकारी दफ्तरों में हमारे कई काम पेपरलैस होते जा रहे हैं. यहां तक कि अब तो देश का बजट भी टैबलेट पर पढ़ा जाता है. इसके बावजूद देश में अब भी फर्जी डॉक्युमेंट्स का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली में एक बैनर छापने वाले ने फर्जी पेपर्स से 100 करोड़ रुपए तक का कारोबार खड़ा कर दिया.

जी हां, ये कहानी दिल्ली के तिलक नगर की है जहां के मनोज मोंगा ने सैकड़ों लोगों के फर्जी वीजा तैयार करके दिए और उन्हें ठगा. इस तरह उसने 100 करोड़ रुपए का कारोबार खड़ा कर दिया और अब 5 साल की लुका-छिपी के बाद एयरपोर्ट पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है. आखिर मनोज मोंगा ने ये कारोबार खड़ा कैसे किया?

बैनर छापने वाला बन गया मास्टरमाइंड

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक मनोज मोंगा दिल्ली के तिलक नगर में बैनर छापने का काम करता था. उसने फर्जी वीजा बनाने का काम अपने घर से ही शुरू किया. इसके लिए उसने फोटोशॉप और कोरल ड्रॉ जैसे सॉफ्टवेयर का सहारा लिया.

मनोज मोंगा ने कई अलग-अलग देशों के वीजा डॉक्युमेंट की एग्जैट सेम कॉपी और टेम्पलेट तैयार करके रखी थी.ग्राफिक डिजाइनर के कोर्स में उसने ऐसी महारत हासिल की थी कि कोई भी उसके द्वारा तैयार वीजा में फर्जीवाड़े की पहचान ही नहीं कर सकता है.

ऐसे खड़ा किया 100 करोड़ का कारोबार

मनोज मोंगा की अगर निजी जिंदगी को देखा जाए, तो उसकी पत्नी एक टीचर है. जबकि उसके दो बच्चों में से एक जर्मनी में पढ़ाई करता है. जहां उसकी निजी जिंदगी बेहद सामान्य थी, वहीं उसके घर में हर तरफ नकली कागजात और स्टाम्प इत्यादि हर वक्त मौजूद रहते थे

मनोज मोंगा के काम करने का एक तरीका था. वह ये कि वह हर महीने 20 से 30 लोगों के फर्जी वीजा डॉक्युमेंट तैयार करता था. क्लाइंट की अर्जेंसी का फायदा उठाकर वह उनसे पैसे बनाता था. बैनर के काम में जहां उसे 5,000 रुपए ही एक बैनर से मिलते थे, वहीं एक फर्जी वीजा के लिए उसे 1 लाख रुपए तक मिल जाते थे. इस तरह उसने अपना 100 करोड़ रुपए तक का कारोबार खड़ा कर लिया.

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