चार्जशीट में हुआ खेल, गैंगरेप मामले में 6 महीने से काट रहे थे सजा, अब कोर्ट ने किया बरी; ये है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के बरेली में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने तीन बच्चों की मां से गैंगरेप के मामले को ब्लैकमेलिंग मानते हुए मात्र 6 महीने में पूरे मुकदमे की सुनवाई करके फैसला सुनाया है. कोर्ट ने फैसले में दोनों आरोपियों को निर्दोष माना है. इतना ही नहीं कोर्ट ने विवेचक कोतवाली इंस्पेक्टर और सीओ के खिलाफ केश दर्ज कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं. कोर्ट की इस कार्रवाई के बाद पुलिस महक में हड़कंप मचा हुआ है. दुष्कर्म मामले में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे और दो युवकों को जेल भेजने के बाद कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और फास्ट ट्रैक कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर पूरे मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया.
दरअसल यूपी के बरेली के थाना शीशगढ़ में एक तीन बच्चों की मां ने 15 अगस्त 2022 को श्रवण कुमार और गुड्डू नामक दो युवकों के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था. महिला का आरोप था कि दोनों ने उसे यह कहकर साथ चलने के लिए कहा कि उसके पति एक हादसे में घायल हो गए और उनकी हालत बहुत ही खराब है. रास्ते में दोनों ने उसके साथ खेत में दुष्कर्म किया और इसका वीडियो बना लिया. महिला का आरोप था कि वीडियो का इस्तेमाल कर उन्होंने बार-बार उसका शारीरिक शोषण किया और अन्य युवकों से भी दुष्कर्म कराया. महिला का यह भी आरोप था कि उन्होंने उसे ब्लैकमेल कर उससे पैसे ऐंठे और अश्लील वीडियो को पोर्न वेबसाइट पर अपलोड कर दिया.
पुलिस ने शक्तियों का सही उपयोग नहीं किया
कोर्ट में पूरे मामले की सुनवाई के दौरान गवाहों और साक्ष्यों के सामने महिला के आरोप टिक नहीं सके. छह महीने की सुनवाई के बाद न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि पुलिस की जांच सही तरीके से नहीं की गई और मामला आरंभ से ही संदिग्ध था. वीडियो को ब्लैकमेलिंग मानते हुए दोनों आरोपियों को निर्दोश करार दिया. कोर्ट ने कहा कि विवेचक तथा कोतवाली इंस्पेक्टर रविंद्र कुमार और सीओ तेजवीर सिंह ने अपनी पर्यवेक्षण शक्तियों का सही ढंग से उपयोग नहीं किया और चार्जशीट दाखिल कर दी. कोर्ट ने एसएसपी को तीनों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज रवि कुमार दिवाकर के आदेश के बाद पुलिस महके में अब हड़कंप मचा हुआ है.
जज ने पुलिस पर कार्रवाई का दिया आदेश
बता दें फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने बिना सत्य की खोज किए आरोपपत्र दाखिल कर दिया. जिसके चलते निर्दोष युवकों को बेवजह जेल में रहना पड़ा. कोर्ट ने कहा कि विवेचक और सीओ ने उत्तर प्रदेश पुलिस रेगुलेशन एक्ट के पैरा 107 का उल्लंघन किया है ऐस में इनके खिलाफ कार्रवाई होगी. न्यायाधीश ने एसएसपी को निर्देश दिया कि आईपीसी की धारा 219 के तहत थाना प्रभारी और सीओ के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
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