रायपुर। बीज विकास निगम ने ब्लैक लिस्टेड कंपनी तिरुपति प्लांट साइंस को सुनियोजित तरीके से पांच करोड़ का भुगतान कर दिया। इसके बाद से निगम सवालों के घेरे में आ गया है। दागी कंपनी तिरुपति प्लांट साइंस की गड़बड़ी को लेकर भाजपा ने विधानसभा में मुद्दा उठाया था। उस समय मंत्री ने कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने का आदेश दिया था। इस आदेश के दो महीने बाद बीज विकास निगम के अध्यक्ष अग्नि चंद्राकर ने कंपनी को भुगतान करवा दिया। जबकि निगम के एमडी का कहना है कि अध्यक्ष को ब्लैक लिस्टेड कंपनी के मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है।
आरोप है कि इसके लिए अध्यक्ष ने बिना अधिकार के ही सुनवाई की और भुगतान का आदेश जारी कर दिया। जब दोबारा विवाद हुआ तो बीज विकास निगम के एमडी ने अध्यक्ष के आदेश को यह कहकर रद कर दिया कि वह ब्लैक लिस्टेड कंपनी को भुगतान जारी करने के लिए आदेश देने के सक्षम अधिकारी नहीं हैं। इस बीच, निगम के अध्यक्ष अग्नि चंद्राकर से जब यह सवाल किया गया कि एमडी ने उनके आदेश को निरस्त कर दिया है, तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। इस मामले की फाइल देखने के बाद ही कोई टिप्पणी करेंगे।
बीज विकास निगम को तिरुपति प्लांट साइंस ने धान के हाईब्रिड बीज उपलब्ध कराए थे। इस बीज के सैंपल रायपुर, राजनांदगांव, सूरजपुर, बैकुंठपुर और बीजापुर में जांच में फेल हो गए। जब तक सैंपल की रिपोर्ट आती, कंपनी ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर करोड़ों की आपूर्ति कर दी।
इस मामले को नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने विधानसभा में उठाया, जिसके बाद इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने जांच कराई। उस समय भुगतान पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन बीज विकास निगम के अध्यक्ष अग्नि चंद्राकर ने अगस्त 2021 में एक आदेश जारी कर भुगतान का रास्ता खोल दिया। बीज विकास निगम के एमडी ने कहा कि कंपनी को उनके पास अपील करनी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ऐसे में कंपनी को टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
किसके इशारे पर अध्यक्ष ने भुगतान का दिया आदेश: कौशिक
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बीज विकास निगम से पूछा है कि अध्यक्ष ने किसके इशारे में भुगतान का आदेश दिया। जब अध्यक्ष को सुनवाई का अधिकार नहीं है, तो फिर निगम ने भुगतान क्यों किया। कौशिक ने पूरे मामले की सचिव स्तर के अधिकारी से जांच कराने की मांग की है।
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