अपने दर्द से दूसरों को राहत बांट रही फाइलेरिया ग्रस्त आशा कार्यकर्ता गीता
– फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क की मेंबर भी हैं गीता
– फाइलेरिया रोगियों को दिखा रही सही रास्ता
मुजफ्फरपुर। आशा कार्यकर्ता मतलब स्वास्थ्य प्रणाली की पहली सिपाही। क्या होगा जब वह खुद उस बीमारी के चंगुल में फंस जाए, जिसके लिए वह जागरूकता फैलाती है। ऐसा ही संयोग कोइली पंचायत की आशा कार्यकर्ता गीता के साथ हुआ। आशा रहते हुए उसे नौ साल हुए थे कि अचानक एक दिन उसकी एड़ी में सूजन हुआ। साधारण समझ वह मामूली दवा लेकर ध्यान हटा लिया। अचानक 2015 में बुखार और ठंड ने जकड़ लिया। बुखार तो ठीक हो गया पर पैर दिन प्रतिदिन फूलता चला गया। मामला यहां तक पहुंचा कि दैनिक क्रिया में भी दिक्कत होने लगी। इसी बीच उन्हें हाथ में किसी चर्म रोग ने गंभीर रूप से जकड़ लिया। जिस कारण एक हाथ भी उसका काम करने के लायक नहीं था। फाइलेरिया के लिए वह लोगों को दवाएं तो देती थी, पर उसे खुद नहीं खाती थी। एक बार सरकारी अस्पताल में दिखाया। कुछ दिन दवा खाने पर ठीक हुआ, पर हाथ की बीमारी ने मामला ज्यादा गंभीर कर दिया।
कॉम्युनिकेशन गैप ने बढ़ाया रोग:
आशा गीता कहती हैं, हम लोग पहले भी एमडीए के तहत दवा बांटते थे। हो सकता है यह मेरे सुनने की ही गलती थी कि फाइलेरिया रोगियों को यह दवा नहीं खानी है। इसलिए दवा बांटने के दौरान भी और खुद भी दवाएं नहीं खा पायी। पिछले कुछ वर्षों से एमडीए के तहत फाइलेरिया रोगियों को भी यह दवा दे रही हूं, लोगों को इससे फायदा है। हालांकि समझ में आने तक देर हो चुकी थी और मेरा पांव कुछ ज्यादा ही फूल गया। एक बार पांव फूलने के बाद सामान्य होना असंभव है। पर लोगों को बताती हूं कि दवा के सेवन से पांव सामान्य तो नही होगा पर रोग के बढ़ने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
फाइलेरिया पेशेंट नेटवर्क से जुड़ने से मिला आत्मविश्वास:
आशा गीता बताती हैं कि 2022 में मैं सूरज फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क मेंबर ग्रुप से जुड़ी। इस दौरान एमएमडीपी किट और उसके प्रबंधन से रोग में कमी लाने के बारे में जानकारी मिली। इसे मैंने भी किया और दूसरों को भी बताया। दर्द और सूजन में काफी आराम मिला है। नही तो एक समय वह भी था कि दैनिक क्रिया में भी मुझे दिक्कत थी। यह सारा आत्मविश्वास मुझे फाइलेरिया पेशेंट नेटवर्क मेंबर से जुड़ने के बाद मिली है।
स्वास्थ्य कार्यक्रम एक तरफ, फाइलेरिया एक तरफ:
फाइलेरिया रहते हुए मैं एक आशा कार्यकर्ता के रुप में अपना सारा काम करती हूं। दिक्कत होने पर मेरे पति कभी कभी काम छोड़ने के लिए भी कहते हैं, मगर मैं साफ मना कर देती हूं। मेरे लिए स्वास्थ्य कार्यक्रमों का महत्व काफी है उसे पूरे चाव से करती हूं, पर खुद भी फाइलेरिया से पीड़ित होने के कारण इसका जो दर्द और दुख मैं झेल रही हूं, वह कोई और न झेले इसके लिए मैं अपनी बची हुइ पूरी ताकत झोंकती रहूंगी।