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एमएसपी के मुद्दे पर पीलीभीत सांसद वरूण गांधी ने लोकसभा में रखे गए विधेयक काे किया ट्वीट, बताईं विधेयक की ये खास बातें

पीलीभीत। तीन कृषि कानूनों के मामले पर किसान आंदोलन का खुलकर समर्थन कर ट्वीटर के जरिये सरकार को असहज करने वाले सवाल उठाने के बाद सांसद वरुण गांधी ने अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर लोकसभा में विधेयक पेश किया है। सांसद वरुण गांधी न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे पर लंबे समय से अपनी राय प्रमुखता से जाहिर करते रहे हैं। सांसद ने आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को शहीद बताकर अपनी हमदर्दी जताते हुए सरकार को सहानुभूति पूर्वक संयम के साथ वार्ता करने का सुझाव पूर्व में कई बार दिया था।

सांसद ने लखीमपुर हिंसा मामले मारे गए किसानों के आश्रितो को एक एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने तथा केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग उठाई थी। इसके अलावा सांसद ने यूपी टीईटी पेपर लीक, प्रदर्शनकारी बेरोजगारों पर लाठीचार्ज तथा महंगाई व आर्थिक अव्यवस्था के मुद्दों पर भी ट्वीटर के जरिये सरकार पर निशाना साधा। अब न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे पर सदन में विधेयक रखकर सांसद ने सरकार को असहज करने वाली स्थिति में ला खड़ा किया है। सांसद ने रविवार की सुबह इस मामले पर ट्वीट भी किया है

सांसद वरुण गांधी के विधेयक की खास बातें

1. इस विधेयक में 22 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटीशुदा खरीद की परिकल्पना की गई है। ये फसलें देश में एक लाख करोड़ के वार्षिक वित्तीय परिव्यय के साथ भारत में बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। फसलों की यह सूची कृषि उत्पादों को जरूरत के आधार पर शामिल करने के लिए खुला रहेगा।

2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को उत्पादन की कुल लागत पर 50 फीसद लाभांश के आधार पर निर्धारित किया गया है। यह मूल्य स्वामीनाथन समिति (2006) द्वारा अनुशंसित फसल तैयार करने के लिए किए गए वास्तविक खर्च, अवैतनिक पारिवारिक श्रम के बराबर मूल्य तथा कृषि भूमि और कृषि से जुड़े अन्य साजो-सामान के छोड़े गए किराए की परिगणना पर आधारित है। विधेयक में इस बात की व्यवस्था होगी कि एमएसपी से कम कीमत हासिल करने वाला कोई भी किसान प्राप्त मूल्य और गारंटीशुदा एमएसपी के बीच मूल्य के अंतर के बराबर मुआवजे का हकदार है।

3. यह विधेयक गुणवत्ता मानकों के आधार पर विभिन्न फसलों के वर्गीकरण का प्रावधान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि यदि फसल पूर्व-निर्धारित गुणवत्ता को पूरा नहीं करती है तो किसानों को संकटपूर्ण बिक्री की नौबत का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा, फसल भंडारण के बदले कृषि ऋण का प्रावधान अगले फसल कटाई के मौसम के लिए कार्यशील पूंजी और संकटपूर्ण बिक्री के जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त तौर पर रहेगा।

4. किसानों को समय पर भुगतान के साथ उनकी फसलों के लिए एमएसपी प्राप्त करने की गारंटी दी जाएगी। लेनदेन की तारीख से दो दिनों में खरीदार द्वारा फसल बेचने वाले किसानों को यह रकम सीधे बैंक खाते में जमा कराना होगा। अगर किसी कारण से एमएसपी का मूल्य किसानों को नहीं मिलता है तो सरकार को बिक्री मूल्य और एमएसपी के बीच के मूल्य अंतर का भुगतान इस मामले की सूचना मिलने के एक हफ्ते के भीतर करना होगा।

5. यह विधेयक फसलों की विविधता को प्रोत्साहित और खेती के लिए प्रत्येक प्रखंड के लिए सबसे उपयुक्त फसल की सिफारिश करता है ताकि इससे कृषि के लिए पर्यावरणीय लागत कम हो, खासतौर पर भूजल के मामले में। जाहिर तौर पर इससे दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्थिरता के लिए उपयुक्तफसल पैटर्न को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

6. किसानों के लिए से उपज की कीमत की घोषणा फसली मौसम शुरू होने के दो महीने पहले होनी चाहिए ताकि वे अपने बुवाई की योजना अग्रिम तौर पर बना सकें

7. इस प्रस्तावित कानून को लागू कराने के लिए कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय में अलग से एक विभाग बनाया जाएगा। यह विभाग अलग निर्णय लेने वाली एक संस्था के तौर पर होगी, जिसमें किसान प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी और कृषि नीति के विशेषज्ञ शामिल रहेंगे।

8. यह विधेयक प्रत्येक पांच गांव पर एक अच्छी तरह से व्यवस्थित खरीद केंद्र स्थापित करने और आपूर्ति शृंखला के बुनियादी ढांचे (गोदाम, कोल्ड स्टोरेज आदि) के निर्माण का प्रस्ताव करता है ताकि किसानों को फसल कटाई के बाद अपनी उपज को निर्बाध रूप से स्टोर करने और उन्हें बेचने में सहूलियत हो।

9. शिकायत दर्ज होने के 30 दिनों के भीतर विवाद समाधान का प्रावधान होगा, जिसमें असंतुष्ट पक्ष के पास न्यायिक व्यवस्था तक पहुंच का अधिकार सुरक्षित रहेगा।

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