PM नरेंद्र मोदी ने ‘सांसद खेल महाकुंभ’ का किया शुभारंभ, कहा- स्थानीय खिलाड़ियों को उड़ान भरने का मिलेगा अवसर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बस्ती में सांसद खेल महाकुंभ (Sansad Khel Mahakumbh) 2022-23 के दूसरे चरण का उद्घाटन किए। वर्चुअली उद्घाटन के दौरान उन्होंने खो-खो खेल देखा। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) भी मौजूद रहे।
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि खेल महाकुंभ स्थानीय खिलाड़ियों को उड़ान भरने के नए अवसर देगा। उन्होंने कहा कि मैं काशी से सांसद हूं। वहां भी इस तरह के खेल आयोजनों का सिलसिला शुरू हो गया है। कई जगहों पर इस तरह के खेल महाकुंभ का आयोजन कर सांसद खेल आयोजन कर नई पीढ़ी के भविष्य निर्माण का काम कर रहे हैं। इस तरह के आयोजन एथलीटों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सांसद खेल महाकुंभ में अच्छा प्रदर्शन करने वाले युवा एथलीटों को भारतीय खेल प्राधिकरण के प्रशिक्षण केंद्रों में आगे के प्रशिक्षण के लिए चुना जा रहा है जिससे देश की युवा शक्ति को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि खेलों में इस तरह के आयोजन एथलीटों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
उन्होंने कहा कि इस महाकुंभ में करीब 40 हजार से ज्यादा युवा हिस्सा ले रहे हैं। संसद खेल महाकुंभ की एक और विशेषता है कि इसमें हमारी बेटियां बड़ी संख्या में भाग ले रही हैं। मुझे विश्वास है कि बस्ती, पूर्वाचल, यूपी और देश की बेटियां इसी तरह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपना दमखम दिखाएंगी।
प्रधानमंत्री ने भारतीय महिला टीम की सलामी बल्लेबाज शैफाली वर्मा की तारीफ करते हुए कहा कि कुछ दिन पहले, हमने देखा कि कैसे शेफाली वर्मा ने महिला अंडर-19 टी-20 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया। शेफाली ने ओवर की आखिरी गेंद पर लगातार पांच चौके और एक छक्का लगाकर एक ओवर में 26 रन बटोरे। ऐसी प्रतिभा भारत के कोने-कोने में बसती है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि एक समय था जब खेल को एक्स्ट्रा-कर्रिकुलर एक्टिविटी माना जाता था। उन्होंने आगे कहा कि इसे शिक्षा से अलग माना जाता था, केवल समय व्यतीत करने का एक तरीका। बच्चों को वही पढ़ाया जाता था। इसलिए, पीढ़ी दर पीढ़ी समाज में एक मानसिकता विकसित हुई कि खेल इतना महत्वपूर्ण नहीं है। इस मानसिकता से देश को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। असंख्य युवा और बेहिसाब प्रतिभाएं मैदान से दूर रहीं। पिछले 8-9 सालों में देश ने इस पुरानी मानसिकता को पीछे छोड़ा है और खेलों के लिए बेहतर माहौल बनाने का काम किया है।
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