उपेन्द्र कुशवाहा ने समता फुले संगठन के रूप में सामानांतर संगठन चलाया: उमेश सिंह कुशवाहा
अतिमहत्वाकांक्षा, पद लोलुपता तथा असीमित राजनीतिक लाभ के लिए लगातार बदलते रहे हैं दल
जबकि उनके राजनैतिक जीवन में जब भी अन्धकार छाया तब हमारे नेता ने उन्हें संरक्षण प्रदान किया
पटना। बिहार प्रदेश जदयू अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आज कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं। अतिमहत्वाकांक्षी, पद लोलुपता तथा असीमित राजनीतिक लाभ प्राप्त करने की प्रवृत्ति के कारण वे अपनी मानसिक दशा तक खोते जा रहे हैं। दल बदलने में माहिर उपेन्द्र कुशवाहा ने कभी भी कार्यकर्ताओं को जदयू की मुख्यधारा से जोड़ने का काम नहीं किया।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के साथ जो भी कार्यकर्ता थे, उन्हें पार्टी से दूर रखने का ही काम किया और अपने साथ के सभी लोगों को महात्मा फुले संगठन से जोड़ कर रखास जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति में अपनी साख खो चुके उपेंद्र कुशवाहा पर तरस खाकर जदयू में शामिल किया, उन्हें एमएलसी और संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर मंत्रियों की तरह बंगला भी प्रदान कियास जब- जब उनके राजनैतिक जीवन में अन्धकार छाया है तब हमारे नेता ने ही उन्हें संरक्षण प्रदान किया है। परन्तु उन्होंने पार्टी अनुशासन एवं राजनीतिक मर्यादा को ताक पर रखते हुए अनर्गल एवं बकवास बयानबाजी कर अपनी विश्वसनीयता ही खो दी है।
उमेश सिंह कुशवाहा ने आगे कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में जब जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया, उनकी पार्टी आरएलएसपी को विधानसभा में एक भी सीट प्राप्त नहीं हुई, जो उनके राजनीतिक धरातल का प्रत्यक्ष प्रमाण है। तब हमारे नेता ने जदयू की सबको मिलाकर और साथ लेकर आगे बढ़ने की परंपरा के अनुसार उनको मान- सम्मान दियास परन्तु अपनी असीमित लालसा के कारण उन्होंने जदयू को ही कमजोर करना प्रारंभ कर दिया।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आज वह किनके गोद में जाकर खेल रहे हैं, सभी लोग जानते हैं। जदयू मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संघर्ष की उपज है। जदयू कार्यकर्ता अपने नेता नीतीश कुमार के संस्कारों में पला- बढ़ा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काम में विश्वास करते हैं। बिहार के करोड़ों लोगों के लिए विकास करने वाले हमारे नेता पर कोई अनर्गल कुछ बोले, यह हमलोग कत्तई बर्दाश्त नहीं कर सकते। जदयू की नींव में हमारे नेता का खून- पसीना समाहित है। किसी भी व्यक्ति का स्वार्थ पार्टी कार्यकर्ताओं की निष्ठा और उसके समर्पण के सामने टीक नहीं सकता।