बिहार में उच्च शिक्षा के समस्या और समाधान विषय पर परिचर्चा कार्यक्रम का किया गया आयोजन
मोतिहारी। चंपारण नागरिक मंच के तत्वावधान में बिहार में उच्च शिक्षा के समस्या और समाधान विषय पर परिचर्चा स्थानीय भूमिहार ब्राह्मण छात्रावास के सभागार में सम्पन्न हुआ। परिचर्चा की अध्यक्षता चंपारण नागरिक मंच के संस्थापक अजय कुमार सिन्हा ने तथा संचालन मंच के महासचिव आलोक चन्द्र ने किया वहीं विषय प्रवेश अधिवक्ता डॉ प्रणव प्रियदर्शी ने किया। परिचर्चा में विषय को रखते हुए मंच के अध्यक्ष अधिवक्ता विनोद कुमार दूबे ने कहा कि बिहार को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा लगातार उपेक्षित किया गया, जहां एकओर केंद्र सरकार ने देश के अन्य राज्यों में वर्ष 2005 से 2008 के बीच 7 अखिल भारतीय विज्ञान अनुसंधान संस्थान तथा होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान के अंतर्गत 11 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान खुले वहीं बिहार को एक भी ऐसी संस्थान नहीं मिला। जबकि उन संस्थानों में प्रथम संस्था के शोध के अनुसार सर्वाधिक शोधार्थियों एवं शिक्षकों की संख्या बिहारियों की है जहां एक और केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बिहार से लगातार भेदभाव किया वहीं दूसरी ओर बिहार सरकार भी महाविद्यालय में शिक्षकों की बहाली को टालती रही । जिसके परिणाम स्वरूप बिहार के महाविद्यालयों में कई विषयों में एक भी शिक्षक नहीं होने के बावजूद छात्रों का नामांकन एवं परीक्षा लिया जा रहा है बिहार के महाविद्यालय में वर्ग संचालन नगण्य हो गया है । इसके लिए समाज के सभी वर्ग को जागरूक होना होगा और अपने कर्तव्यों का सम्यक निर्वहन करना होगा तभी बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति में सुधार संभव है । श्री दुबे ने सरकार से तथा विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापकों से यथाशीघ्र महाविद्यालय में वर्ग संचालन कराने की मांग किया ।
परिचर्चा में अपनी बात रखते हुए डॉक्टर नागमणि ने कहा कि जिन राजनेताओं के ऊपर नीति निर्धारण की जवाबदेही है वे स्वयं अयोग्य हैं और जब तक राजनेताओं के लिए योग्यता निर्धारित नहीं की जाएगी तब तक नीति निर्धारण गलत होता रहेगा परिचर्चा को वीरेंद्र जालान, मुकेश कुमार पांडे, संजय कुमार, सतीश टंडन, विभाष रंजन पांडे, अमिता निधि, मनीष शेखर ,मीना द्विवेदी एवं राजन दत्त द्विवेदी ने अपना विचार रखा।अंत में एलएनडी महाविद्यालय के प्राचार्य श्री अरुण कुमार ने कहां यदि बच्चे और उनके अभिभावक जागरूक हो जाएं और वह महाविद्यालयों में जाने लगे तो अपनी सीमित क्षमता के बावजूद महाविद्यालयों में वर्ग संचालन होने लगेगा उन्होंने यह भी कहा कि महाविद्यालय में शिक्षकों की जितनी संख्या है वह सभी काफी योग्य शिक्षक हैं ।इसलिए बच्चों को महाविद्यालयों में जाने के लिए समाज प्रेरित करें तभी उच्च शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन सम्भव है। परिचर्चा में शैलेन्द्र मिश्र बाबा, शशिभूषण पटेल, राकेश रोशन, सुनील कुमार तिवारी, मंजय कुमार मिश्रा, विजय कुमार उपाध्याय, जितेश कुमार मिश्र, संजय उपाध्याय, राज किशोर मिश्र, राकेश कुमार, मिथुन कुमार इत्यादि सामाजिक कार्यकर्ता एवं समाज के दर्जनों प्रबुद्ध व्यक्ति ने भाग लिया।