फतुहा विश्व थैलेसीमिया दिवस पर आयोजन
फतुहा। होम्योपैथिक अस्पताल में विश्व थैलेसीमिया पर एक आयोजन किया गया जिसका अध्यक्षता डॉ प्रमिला कुमारी, संचालन डॉ शालिनी तथा मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ लक्ष्मी नारायण सिंह पटेल । मुख्य अतिथि डॉ लक्ष्मी नारायण सिंह पटेल ने कहा कि थैलेसीमिया ऐसी अनुवांशिक बीमारी है जो हमारी रक्त कोशिकाओं के कमजोर होने यार नष्ट होने के कारण होती है यह शरीर में किसी जीन की अनुपस्थिति के कारण भी हो सकता है। रक्त से संबंधित इस बीमारी का असर मरीजों पर काफी गहरा होता है। उनके शरीर में जैसे-जैसे आयरन का स्तर बढ़ता जाता है उनकी परेशानियां बढ़ती जाती है इससे उनकी हड्डियों से लेकर हृदय तक असर पड़ता है। इसके मरीज को नियमित रूप से खून चढ़ाने और बेहतर इलाज की जरूरत होती है यह बीमारी माता-पिता से बच्चों में आ जाती है। थैलेसीमिया मरीजों के शरीर में आयरन का स्तर 1000 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए। थैलेसीमिया कार्ड होने से जीवन भर बिना डोनर के आसानी से ब्लड बैंक से मिलता है रक्त। शादी से पहले थैलेसीमिया कैरियर जांच यानि हिमोग्लोबिन ए 2 जांच अवश्य कराएं। शारीरिक रूप से स्वस्थ लोग 3 से 4 महीने में कर सकते रक्तदान। थैलेसीमिया मरीजों के लिए स्लो पॉइजन है आयरन। थैलेसीमिया के मरीजों को बार-बार ब्लड चढ़ाने की जरूरत होती है। ऐसे में रक्त में मौजूद आयरन उनके शरीर में इकट्ठा हो जाता है जिससे शरीर से बाहर निकालने की जरूरत होती है, अन्यथा यह धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने में लगता है इसके लिए बच्चों को कुछ विशेष दवाई दी जाती है इसके अलावा ध्यान देना चाहिए कि हमारे शरीर में आयरन का स्तर 1000 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए ऐसा ना होने पर उसका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा होम्योपैथिक दवाओं में ब्यूट्रिक एसिड, कैल्केरिया आर्स, लेके सिस,फास्फोरस, प्लम्बम मेटालिकम, थियोसिनामिनन ,फेरम फास आदि मौजूद है। दवा होम्योपैथिक चिकित्सक के सलाह से इस्तेमाल करें।इस अवसर पर डॉ मनोरम कुमारी, डॉ गोपाल शरण, अनामिका पाण्डेय, शैलेश कुमार, अजित शर्मा आदि मौजूद थे।