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बाल श्रम से प्रभावित होती है स्कूली शिक्षा : सुरेन्द्र

पटना। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर श्रम संसाधन विभाग की ओर से सोमवार को दसरथ मांझी श्रम एवं नियोजन अध्ययन संस्थान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौके पर श्रम संसाधन विभाग द्वारा बाल श्रम के विरुद्ध राज्य में जन जागरण फैलाने के उदेश्य से प्रचार-प्रसार सामग्री एवं सभी उपकरणों से सुसज्जित सहित 12 जागरूकता रथ को मंत्री ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह रथ आगामी एक माह तक पूरे राज्य में बाल श्रम से मुक्ति के लिए जन जागरूकता फैलाएगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, श्रम संसाधन मंत्री सुरेन्द्र राम ने कहा कि कहा कि सामान्यत: बाल श्रम को ऐसे पेशे या कार्य के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बच्चों के लिये खतरनाक तथा नुकसानदायक हो, वैसा कार्य जो बच्चों को स्कूली शिक्षा से वंचित करता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्य जो बच्चों या किशोरों के स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत विकास को प्रभावित नहीं करते हैं या जिन कार्यों का उनकी स्कूली शिक्षा पर कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता हो। उसे लेकर हमें आगे बढ़ना होगा, जिसमें सभी स्तरों पर समन्वय और सहयोग जरुरी है। हमने जिलों को बाल श्रम मुक्त बनाये जाने का प्रण लिया है, जिसे हम नियत समय पर पूरा करेंगे। बाल श्रम से मुक्ति और उनके पुनर्वास के लिए हम निरंतर प्रयासरत हैं साथ ही उनके कौशल विकास और रोजगार परक कौशल से जोड़ने के लिए भी कारवाई की जा रही है। श्री राम ने कहा कि दुनियाभर में आज ऐसे लाखों बच्चे हैं जो मजदूरी करने के लिए मजबूर है। अपने नाजुक कंधो से बोझा ढोकर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैें अपने देश में दशकों से बालश्रम एक गंभीर समस्या बनी हुई है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि ऐसे बच्चों की पहचान करें और उनकी मदद के लिए आगे आयें। उन्होंने यह भी कहा कि पहले सभी नियोजक यह सुनिश्चित करें कि उनके दुकान या प्रतिष्ठान में किसी भी बाल श्रमिक को नियोजित नहीं किया जाएगा अन्यथा ऐसे नियोजकों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मौके पर बाल श्रम आयोग के अध्यक्ष, डॉ चक्रपाणी हिमांशु ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन जो बाल मजदूरी को बढ़ावा देने में मुख्य कारक के तौर पर काम करता है,उसे खत्म करना अत्यंत आवश्यक है। इस दिशा में श्रम संसाधन विभाग एवं समाज कल्याण विभाग ने जागरूकता फैलाने के अलावा कई कार्यक्रम चलाए हैं जिससे बाल श्रम में गिरावट आई हैे लेकिन अभी भी काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। आयोग के उपाध्यक्ष राजीवकान्त मिश्रा ने कहा ने कहा कि हमारे और आपके प्रयास से ही बाल श्रम विमुक्त बिहार बनाया जा सकता है, इसलिए हम सभी को आगे आना होगा। श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव डॉ. बी राजेन्दर ने कहा कि हर साल 12 जून को मनाए जाने वाले विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरूआत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा साल 2002 में की गई। उन्होंने कहा कि इस बार राज्य स्तरीय कार्यक्रम के साथ-साथ हमने सभी जिलों में भी कार्यक्रमों का आयोजन किया है ताकि सामुदायिक स्तर पर लोगों को बाल श्रम के बारे में बेहतर ढंग से जागरूक किया जा सके। कार्यक्रम को यूनिसेफ के प्रतिनिधि बंटू सरकार ने यूनिसेफ के द्वारा किये जा रहे प्रयासों की चर्चा कीे साथ ही सरकार के साथ कदम मिलाकर चलने की बात कही। धन्यवाद ज्ञापन विभाग के विशेष सचिव-सह-श्रमायुक्तअलोक कुमार ने किया। कार्यक्रम में संयुक्त सचिव, बिरेन्द्र कुमार एवं अरविन्द कुमार, मंत्री के आप्त सचिव राजवर्द्धन के साथ अन्य पदाधिकारी और कर्मचारीगण उपस्थित रहे।कार्यक्रम के दौरान रेनबो के बच्चों द्वारा बाल श्रम पर आधारित लघु नाटक की प्रस्तुति की गयी एवं बाल श्रम से विमुक्ति की दिशा में श्रम संसाधन विभाग द्वारा चलाये गये विशेष अभियान को लेकर लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गयो जिसे जागरूकता रथ के माध्यम से राज्य भर में प्रदर्शित किया जायेगा।

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