सदर अस्पताल के एसएनसीयू को मिले दो पीडिया वेंटिलेटर
अब नवजातों को नहीं भेजना पड़ेगा एसकेएमसीएच
एरिक्सन कंपनी ने केयर इंडिया की मदद से सौंपा
कंगारू मदर केयर भी एक तरह से नवजातों के लिए वेंटिलेटर का काम करती है
मुजफ्फरपुर। जीरो से 28 दिन के अंदर के गंभीर नवजातों को वेंटिलेटर के लिए अब एसकेएमसीएच नहीं ले जाना होगा। एरिक्सन कंपनी के द्वारा सीएसआर मद से दो पीडिया वेंटिलेटर केयर इंडिया के माध्यम से सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू को सौंप दिया गया है। इस संबंध में केयर इंडिया के डीटीएल मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि अभी जिला स्तरीय अस्पतालों में पीडिया वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। दो वेटिंलेटर के आ जाने से गंभीर नवजातों को एसकेएमसीएच रेफर नहीं करना पड़ेगा। इससे नवजातों के जीवन प्रत्याशा में और वृद्धि होगी। इसके अलावा मां तथा नवजातों के परिजन को उन्हें देखने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। साथ हीं किसी बड़ी प्रक्रिया से भी छुटकारा मिलेगा। कुल प्रसव के छह से आठ प्रतिशत ऐसे मामले होते हैं जिनमें क्रिटीकल केयर की आवश्यकता होती है। उन्हें वेंटिलेटर या इंक्यूबेटर में रखा जाता है। ऐसे में पीडिया वेंटिलेटर का होना एसएनसीयू की सुविधा में इजाफा कराएगा। पीडिया वेंटिलेटर तथा सी पैप का प्रशिक्षण सोमवार को सदर में दिया जा चुका है। वहीं डीटीएल मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि कंगारू मदर केयर भी एक तरह से नवजातों के लिए वेंटिलेटर का काम करती है। कम वजन या प्री मैच्योर नवजातों को इसमें मां की छाती से सटा कर रखा जाता है। जिससे मां के शरीर की गर्मी बच्चे को मिलती है। लगातार स्तनपान और कंगारू मदर केयर नवजात को स्वस्थ और मां को चुस्त और दुरुस्त रखता है। यह विधि मां और नवजात के भावनात्मक विकास और बंधन को और मजबूत करता है।