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गर्भावस्था में टीबी का होना है खतरनाक : सीएस

टीबी के लक्षणों को न करें नजरअंदाज
गर्भवती महिलाएं को रखना चाहिए खास ख्याल

टीबी का सही समय पर इलाज जच्चा बच्चा की सुरक्षा हेतु बहुत जरूरी

मोतिहारी। हर महिला के लिए मातृत्व एक बेहद सुखद अहसास होता है। यह दौर सभी महिला के जीवन में बेहद खास होता है। लेकिन कई बार यह काफी चुनौतीपूर्ण भी साबित हो सकता है। ऐसे में अगर आप अपना और अपने बच्चे का ध्यान रखना चाहती हैं, तो इसके लिए बेहद जरूरी है कि आप खुद की उचित देखभाल करें। ये बातें सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने कही। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए टीबी का होना बेहद खतरनाक होता है। उन्होंने बताया कि महिलाओं को संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। किसी भी प्रकार के रोगग्रस्त बीमार लोगों के सम्पर्क में आने से बचना चाहिए। टीबी के अगर लक्षण महसूस हो तो लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इससे बच्चे पर भी खराब असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि अगर टीबी के लक्षण हो तो छुपाने की जगह चिकित्सक से खुलकर बाते करें। उन्होंने बताया कि टीबी का सही समय पर इलाज जच्चा बच्चा की सुरक्षा हेतु बहुत जरूरी है। वहीं जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रंजीत राय ने बताया कि गर्भावस्था में टीबी की स्किन टेस्ट तथा टीबी ब्लड टेस्ट दोनों सुरक्षित हैं। इसके अलावा बलगम की जांच और फेफड़ों का एक्सरे किया जाता है। गर्भवती महिलाओं में टीबी का सही समय पर पता चल जाने से इलाज संभव है। गर्भवती के टीबी का इलाज नहीं होने से शिशु को भी टीबी की संभावना रहती है।उन्होंने बताया कि इलाजरत होने पर दवा को बीच में नहीं छोड़ा जाना चाहिए अन्यथा यह गंभीर हो जाता है।सरकारी अस्पताल में निः शुल्क दवा व जाँच उपलब्ध है। जब तक टीबी पूरी तरह से न छूटे दवा को बंद न करें। वहीं जिला यक्ष्मा केंद्र पर कार्यरत ललित कुमार सिंह ने बताया गर्भवती महिलाओं के टीबी संक्रमित होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें घर में टीबी के किसी अन्य व्यक्ति के लगातार संपर्क में आने, टीबी संक्रमित क्षेत्र में रहने, एचआईवी होने, कुपोषित तथा बहुत अधिक वजन कम होने, शराब व मादक पदार्थ जैसे सिगरेट, गुटखा सेवन शामिल हैं। टीबी के कुछ ऐसे लक्षण आमतौर पर जाहिर होते हैं जिसके दिखने पर टीबी जांच आवश्यक है। इनमें एक सप्ताह से अधिक समय तक खांसी रहना, तेज बुखार रहना, भूख की कमी, बहुत अधिक थकान तथा लंबे समय तक अस्वस्थ रहना, बलगम में खून आना तथा गर्दन की ग्रंथियों में सूजन व दर्द रहना है।

बरतें सावधानियां:
खांसी या छींक आने पर हमेशा अपना मुंह और नाक ढक लें। ट्रेन, बस, स्टेशन आदि जैसे भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का उपयोग करें। घर की खिड़कियां, रौशनदान को खोलें।

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