खुद फाइलेरिया से पीड़ित वासुदेव सिंह लोगों को फाइलेरिया से बचाने को करते हैं जागरूक
– कोढ़ा प्रखंड के बसगड़ा पंचायत निवासी वासुदेव सिंह, शिवगुरु पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के हैं सदस्य
– फाइलेरिया मरीजों के साथ नियमित बैठक करके स्वास्थ्य की लेते हैं जानकारी
– एमडीए कार्यक्रम के दौरान लोगों को जागरूक कर खिलायी दवा
कटिहार। फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाए तो यह जीवन भर साथ रहती है। अगर शुरुआत में इसकी देखभाल और इलाज किया जाए तो यह कंट्रोल में रह सकता है। अगर इसे नजरअंदाज कर दिया जाए तो यह लोगों के शरीर के लिए हानिकारक साबित होता है। यही जानकारी अपने क्षेत्र के लोगों तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं वासुदेव सिंह, जिसके दोनों पैर फाइलेरिया से ग्रसित हो चुके हैं। ये बीमारी और किसी को न हो और जिन्हें यह बीमारी हो चुकी है वे इसका शुरुआत से ही बेहतर ध्यान रखें इसके लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। जिले के कोढ़ा प्रखंड स्थित बसगड़ा पंचायत के रहने वाले वासुदेव सिंह अपने क्षेत्र के सभी सामान्य लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए जरूरी ध्यान रखने योग्य बातों की जानकारी देते हैं । साथ हीं फाइलेरिया से ग्रसित हो गए लोगों को नियमित रूप से अस्पताल से आवश्यक दवाइयां लेकर उपयोग करने और घरेलू क्रियाविधि द्वारा फाइलेरिया ग्रसित अंगों को संतुलित रखने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
25 साल पहले हुए थे फाइलेरिया से ग्रसित :
55 वर्ष के वासुदेव सिंह ने बताया कि जब उन्हें पहली बार फाइलेरिया के लक्षण दिखाई दिए थे तब उनकी उम्र 30 साल की थी। उन्होंने बताया कि शुरुआत में कुछ दिन मेरे बाएं पैर में सूजन था। मुझे लगा कि चोट लगने के कारण और खेतीबाड़ी के कारण नियमित दौड़ भाग होने के कारण पैर फूल गया है। शुरुआत में मैंने स्थानीय डॉक्टर से दवाई ली लेकिन बहुत दिन होने पर भी सूजन कम नहीं हुआ तो मैंने अस्पताल में अपनी जांच करवाई। वहां डॉक्टरों ने बताया कि मुझे फाइलेरिया हो गया है। डॉक्टरों ने यह भी बताया कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं होता। नियमित साफ सफाई करते रहना चाहिए। उस समय खेतीबाड़ी में व्यस्त रहता था जिस कारण अपने पैर पर ज्यादा ध्यान नहीं रख सका। जिससे पैर की सूजन बढ़ गई थी। करीब 10 साल बाद दाएं पैर में भी वही समस्या शुरू हो गई और इसमें भी सूजन बढ़ने लगी । कार्य में व्यस्तता के कारण मैं इसके इलाज के लिए कभी-कभी ही अस्पताल जा सकता था जहां मुझे कुछ दवाई और पैर में लगाने के लिए मलहम दिया जाता । लेकिन नियमित रूप से मैं उसका भी इस्तेमाल नहीं कर सकता था जिस कारण मेरे पैर में सूजन बहुत अधिक हो गई थी। फाइलेरिया होने के बहुत दिन बाद बाएं पैर में सूजन के साथ चिक्कतें भी उगने लगे थे। जिससे चलने में बहुत समस्या होने लगती थी। उसके बाद मैंने इसपर विशेष ध्यान रखना शुरू किया। अस्पताल में डॉक्टरों के परामर्श के बाद मैंने नियमित रूप से पैरों की साफ सफाई और महलम लगाने का काम किया। इससे पैरों की चिक्कतों में कमी होने लगी और जीवन आसान होने लगा।
शिवगुरु पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के हैं सदस्य :
वासुदेव सिंह ने बताया कि वर्ष 2022 में सीफार के सहयोग से क्षेत्र के सभी फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को एकत्रित कर उनके स्वास्थ्य में सपोर्ट करने के लिए एक ग्रुप शिवगुरु पेशेंट सपोर्ट ग्रुप का निर्माण किया गया।इस ग्रुप में स्थानीय क्षेत्र के 11 फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को शामिल किया गया। अब हर महीने ग्रुप की बैठक का आयोजन किया जाता है जहां सभी मरीजों को प्रतिदिन घर में फाइलेरिया को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक एक्सरसाइज, साफ सफाई व योगाभ्यास आदि की जानकारी दी जाती है। इसके साथ ही फाइलेरिया ग्रसित लोगों को दवाई सेवन के लिए अस्पताल से लिंकअप कराया जाता है जिससे कि फाइलेरिया मरीज नियमित रूप से आवश्यक दवाई व महलम आदि अस्पताल से प्राप्त कर सकें ।
एमडीए कार्यक्रम के दौरान लोगों को जागरूक कर खिलवायी दवाई :
वासुदेव सिंह ने बताया कि मैं फाइलेरिया से होने वाली समस्याओं को जी रहा हूँ । मैं नहीं चाहता कि और भी कोई लोग इसका शिकार बने। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है जहाँ लोगों को घर-घर जाकर आशा कर्मियों द्वारा डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवाइयां खिलाई जाती हैं । इस दौरान स्थानीय आशा कर्मियों के साथ मैंने व मेरे पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के अन्य सदस्यों ने लोगों को घर-घर जाकर दवा खाने के लिए जागरूक किया जिससे कि वे लोग इस बीमारी से सुरक्षित रह सकें। पेशेंट सपोर्ट ग्रुप द्वारा लोगों को नियमित रूप से घरों में मच्छरदानी का उपयोग करने की भी जानकारी दी गई। लोगों को बताया गया कि फाइलेरिया बीमारी मच्छरों के काटने से होने वाला रोग है जिससे सुरक्षित रहने के लिए एमडीए कार्यक्रम द्वारा खिलायी जा रही दवा का सेवन आवश्यक है। लोगों द्वारा हमारे अनुभव को देखते हुए दवा सेवन का लाभ उठाया गया जिससे कि वे फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित रह सकेंगे।
फाइलेरिया ग्रसित होने के कारण नहीं बढ़ाया अपना परिवार, भाई के परिवार के साथ रहते हैं :
वासुदेव सिंह ने बताया कि फाइलेरिया होने के शुरुआत में ही उनकी शादी हो गई थी। उस समय उसके पैर में ज्यादा सूजन भी नहीं था। शादी के कुछ समय बाद सूजन में वृद्धि देखी गई। डॉक्टरों से दिखाने पर जानकारी हुई कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं हो सकता। मेरी शादी के कुछ समय बाद ही मेरी पत्नी का देहांत हो गया था। मुझे इसकी जानकारी थी कि मेरी बीमारी अब ठीक नहीं हो सकती इसलिए मैंने दूसरी शादी ही नहीं की ताकि किसी और को मेरी समस्या का भागीदार होना पड़े। वर्तमान में मैं अपने भाई के बच्चों के साथ खेतीबाड़ी करते हुए जीवन यापन कर रहा हूँ। मेरे बीमारी के कारण परिवार में कोई द्वेष नहीं होता और वे लोग मेरा पूरा ध्यान रखते हैं जिससे कि मुझे जीवन यापन में किसी तरह की समस्या नहीं होती।