टूटते सांसो के डोर थामते औक्सीज़न मैन गौरव राय
पटना। यह कहानी है दिये और तूफान की कॅरोना की दूसरी लहर का तूफान आने के पहले ही दीया बनकर पटना के गौरव राय मैदान में डट चुके थे वजह यह थी कि उनकी खुद की जिंदगी कोरोना संकट से 2020 के जुलाई माह में घिर गई। होम क्वांटाइन में रहकर इलाज करा रहे गौरव राय का ऑक्सीजन लेवल 54 तक आ गया। उन्होंने अपने अधिवक्ता मित्र की मदद ली वह भी कॅरोना संक्रमित थे। उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों से बात की और फोन पर ही कहा कि आप किसी तरह पीएमसी (पटना मेडिकल कॉलेज) पहुंच जाइए ।वैसे हालात में गौरव खुद गाड़ी चलाते हुए पत्नी अरुणा भारद्वाज के साथ पीएमसी पहुंचे गाड़ी खड़ी कर किसी तरह पीएमसी की सीढ़ियों तक पहुंचने पर थकान लगी और सीढ़ियों पर ही बैठ गए। मेडिकल कॉलेज के सीढ़ी पर ही वह बेहोश हो गए। अस्पताल का एक बंदा आया और 10 लीटर का छोटा सिलेंडर लगा दीया अस्पताल में बेड हाउसफुल थे। पर उन्हें जब होश आया तो अपने को नाली के बगल में एक कुर्सी पर बैठे पाया। वहीं पास में एक आवारा कुत्ता भी टहल रहा था। सिफारिश पर उन्हें मेडिकल कॉलेज के गुजरी वार्ड में बेड मिला।लेकिन वहाँ के हालात बाहर से भी बदतर थे।उन्होंने पत्नी पर दबाव बनाया की घर ले चलो,जान जानी हो तो घर पर ही जाय और बिना सूचना दिए वह अस्पताल से अपने घर आ गए। घर पर ही इलाज करते करते स्वस्थ हो गौरव राय को यह प्रेरणा मिली कि एक छोटे से सिलेंडर ने उनकी जान बचाई है तो क्यों ना हम एक ऑक्सीजन सिलेंडर बैंक शुरू करें? पत्नी की राजामंदी पर उन्होंने 20 जुलाई 2020 को सिलेंडर बैंक शुरू कर दीया। पटना एम्स के युवा चिकित्सक डॉक्टर रमन उन्हें इस काम के लिए 2 सिलेंडर और एक दोस्त ने एक सिलेंडर उपलब्ध कराया इस तरह 18 सिलेंडर से उन्होंने अपना सिलेंडर बैंक शुरू किया इसमें 15 उनके खुद के खरीदे हुए थे कुछ सिलेंडर वह अपनी गाड़ी पर ही रखते थे बाकी घर पर। धीरे धीरे बैंक में सिलेंडर की संख्या बढ़कर 54 तक पहुंच गई उन्होंने खुद के पैसों से सिलेंडर रिफिल करा कर लोगों की मदद का काम शुरू कर दीया वह जरूरतमंद के घर तक खुद सिलेंडर लेकर जाते और मरीज को लगाते भी थे एक प्राइवेट कंपनी रोजा मोटर सेफ्टी सिस्टम प्राईवेट लिमिटेड में महाप्रबंधक के पद पर काम करने वाला यह शख्स पूरे पटना में ऑक्सीजन मैन के नाम से चर्चित हो गए।उनके इस काम पर बिहार सरकार की एक संस्था बिहार फाउंडेशन के एमडी रविशंकर श्रीवास्तव की निगाह पड़ी इस पुण्य कार्य के लिए उन्होंने 200 ऑक्सीजन सिलेंडर फाउंडेशन की तरफ से उपलब्ध कराए। एक साथ इतनी बड़ी संख्या में सिलेंडर मिल जाने से ऑक्सीजन मैन गौरव राय का उत्साह है और ज्यादा बढ़ गया उन्होंने बिहार के कई जिलों में फेसबुक पर जुड़े लोगों के माध्यम से मरीजों की मदद शुरू कराई किसी जिले में 5 और किसी में जिले में 7,किसी मे 20 सिलेंडर उन्होंने भेजें सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड के विधायक डॉ संजीव कुमार ने उन्हें कंस्ट्रेटर उपलब्ध कराया कोरोना की पहली लहर में उन्होंने पहले चरण में 1103 लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराएं। उनका कहना है कि ऑक्सीजन सिलेंडर की वजह से ऐसे लोगों में सिर्फ 32 के ही कोरोना से मौत हुई 166 लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। दूसरी लहर में उन्होंने 613 लोगों को सिर्फ पटना में ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराएं वह कहते हैं कि इनमें 96 लोगों को मौत का शिकार होना पड़ा सरकार के आंकड़े भले ही कुछ भी हो। वह बताते हैं कि इनमें 249 लोगों को अस्पताल जाना पड़ा प्राथमिक स्तर पर सिलेंडर मिल जाने से बहुत से लोगो की जान बच गई।अब पोस्ट कोविड 19 मरीज भी उनके पास ऑक्सीजन के लिए पहुँचने लगे है। नि:संतान गौरव राय बताते है की दोस्तो ने उन्हें इस नेक काम के लिए पहले और दुसरे चरण में 8 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी। खुद उनकी जेब का 6 लाख रुपया लोगो की जान बचाने में लगा है। वह बताते हैं कि मेरी कार कोरोना से ग्रस्त लोगों की मदद में दौड़ते दौड़ते भी जवाब देने लगी है। इस दौरान पौने 3 लाख से ज्यादा तो पेट्रोल पर खर्च हुआ सवा 3 लाख रुपया सिलेंडर की रिफिलिंग पर खर्च हुआ। उन्होंने दोनों लहर में 3000 से अधिक सिलेंडर रिफिल कराएं।। *कोरोना के इतर अन्य सेवाएं भी काबिले तारीफ सिवान के मूल रूप से रहने वाले गौरव राय पटना के श्रीकृष्ण नगर में रहते है। घर मे उनकी केवल पत्नी अरुणा भारद्वाज है। वह भी गौरव के साथ कदम से कदम मिलाकर इस काम में चलती रही बस 17 गरीब बच्चों को अपने पैसों से शिक्षा दिला रहे हैं। जल्दी ही दो लड़कियों को उन्होंने साइकिल दिलाई है। वह 50 साल की उम्र में 88 बार रक्तदान कर चुके हैं 7 स्कूलों में उन्होंने बच्चियों के स्वच्छता के दृष्टि से सेनेटरी पैड मशीनें भी लगवाई है।वह कहते हैं कि हमें ऊपर वाले ने संतान नहीं दी है लेकिन हमारे पास इतनी संताने हैं कि कोई भी परिवारदार हमारे परिवार का मुकाबला नहीं कर सकता । बचपन से ही संवेदनशील है गौरव राय गौरव राय बचपन से ही संवेदनशील है याद करते हुए वह बताते हैं कि तो हम कक्षा चार में थे बाढ़ के पानी में कुत्ते का एक बच्चा बह रहा था स्कूल से लौटते समय वह दृश्य देखकर उनसे रहा नहीं गया उन्होंने बस्ता किनारे रखकर कुत्ते के बच्चे को पानी में डूबने से बचाया लौटकर यह बात घर में भी नहीं बताया कि कहीं मां की मारना खानी पर है संवेदना से भरे इस ऑक्सीजन मैन के नाम से जानने वाले गौरव राय पर आज पटना ही नही पूरा बिहार गर्व महसूस कर रहा है। इनका सहयोग लाइफ लाइन औक्सीज़न बैंक फतुहा को स्थापना काल से ही इनका सहयोग प्राप्त हो रहा है । सुजीत कुमार तत्कालीन थानाध्यक्ष फतुहा का औक्सीज़न लेवल 50 हो गया था उन्होंने प्रेम यूथ फाउंडेशन से सहयोग मांगा फाउंडेशन के संस्थापक गांधीवादी प्रेम जी ने गौरव राय से आग्रह किया गौरब ने अपना जान के प्रवाह किये बगैर दस मिनट के अंदर में पुलिस इंस्पेक्टर के घर पर जाकर औक्सीज़न सिलेंडर लगा दिया और आज सुजीत कुमार किशनगंज में थानाध्यक्ष है ऐसे सैंकड़ो वाक्या है । गौरव राय के इस संकल्प और सेवा से कई राजनेताओं को परेशानी हो रही है । गौरव राय को सैंकड़ो संगठनों के साथ दैनिक भास्कर ने बिहार गौरव सम्मान से सम्मानित किया है ।