पारस एचएमआरआई में जुटे देशभर के पीडियाट्रिक ऑर्थोपैडिक सर्जन
• दो दिनों तक पारस एचएमआरआई में हुआ सीएमई का आयोजन
• बच्चों के पांव से संबंधित बीमारियों के इलाज पर हुआ विचार-विमर्श
• देशभर के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दिये व्याख्यान, साझा किये अनुभव
• पीओएसआई व ओआरईएफ ने पारस एचएमआरआई में किया आयोजन
पटना। पीडियाट्रिक ऑर्थोपैडिक सोसायटी ऑफ इंडिया (पीओएसआई) और ऑर्थोपैडिक रिसर्च एंड एजुकेशन फाउंडेशन (ओआरईएफ) की ओर से 17-18 जून को पारस एचएमआरआई में पीडियाट्रिक फुट एंड एंकल कोर्स पर सीएमई (कंटीन्यू मेडिकल एजुकेशन) का आयोजन किया गया। इसमें देशभर के 100 से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टरों ने भाग लिया।
आयोजन सचिव (ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी) डॉ. जसविंदर सिंह और आयोजन अध्यक्ष (ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन) डॉ. जॉन मुखोपाध्याय ने कार्यक्रम के बाद बताया कि दो दिनों तक चले सीएमई में बच्चों के पांव से संबंधित बीमारियों पर चर्चा हुई। देशभर से आये विशेषज्ञ चिकित्सक इस क्षेत्र में हुए अत्याधुनिक प्रयोग और तकनीक पर व्याख्यान दिये। वीडियो सेशन में बच्चों के पैर से संबंधित बीमारियों के इलाज और नई विधि पर चर्चा हुई।
कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक सर्जन एण्ड जोआएंट रिप्लेसमेंट डॉ. जसविंदर सिह ने बताया, “कई बच्चों में जन्मजात तो कुछ बच्चों में बाद में पैर से संबंधित कई प्रकार की बीमारियां देखने को मिल रही है। कुछ बच्चों के पैर टेढ़े हैं तो कुछ चल पाने में असमर्थ हैं। इसी को देखते हुए इस क्षेत्र में हुए अत्याधुनिक विकास और इलाज की तकनीक एक दूसरे से साझा करने के लिए पीओएसआई और ओआरईएफ ने पटना में इस प्रकार का आयोजन किया”। इसमें अहमदाबाद के डॉ. धीरेन गंजवाला, मणिपाल के हितेश शाह, मुंबई के डॉ. संदीप वैद्य, गुवाहाटी के डॉ. सुकल्याण, झारखंड के देवघर से डॉ. शीतांशु समेत देश-विदेश के सौ से अधिक ऑर्थोपैडिक सर्जन शामिल हुए। इसमें बच्चों के हड्डी, नस जोड़ पर हाल में हुए अत्याधुनिक रिसर्च पर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने व्याख्यान दिये और इलाज की सरल-सहज पद्धति पर अपने अनुभव साझा किये।
पारस एचएमआरआई के डायरेक्टर (आर्थोपैडिक) और ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. जॉन मुखोपाध्याय ने कहा, “सीएमई का मुख्य उद्देश्य बच्चों के पांव से संबंधित जन्मजात या बाद में हुए बीमारियों के कारण और निदान पर चर्चा करना था ताकि ऐसे बच्चों का देश-विदेश में हुए शोध और आधुनिक तकनीक से इलाज किया जा सके। बच्चों के पैर या टखने टेढ़े होने से उन्हें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़़ता है। माता-पिता के सामने भी काफी विकट समस्या पैदा हो जाती है कि ऐसी स्थिति में बेहतर इलाज कहां और कैसे हो। इन्हीं सभी समस्याओं को देखते हुए पारस एचएमआरआई में लगातार सीएमई का आयोजन होता रहा है। अबकी बार बच्चों के पांव से संबंधित बीमारियों के बेहतर इलाज पर आयोजित सीएमई में देश-विदेश के विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल हुए। इस सीएमई का लाभ निश्चित रूप से बिहार के लोगों को मिलेगा। नई तकनीक और इलाज की जो अत्याधुनिक विधि चिकित्सकों ने एक दूसरे से साझा किये, उससे अब बच्चों के पांव से संबंधित बीमारियों का इलाज और सरल व सहज तरीके से हो सकेगा और बच्चे स्वस्थ होकर अपने पैरो पर खड़़े हो सकेंगे”।
पारस एचएमआरआई के बारे में
पारस एचएमआरआई, पटना बिहार और झारखंड का पहला कॉर्पोरेट अस्पताल है। 350 बिस्तरों वाले पारस एचएमआरआई में एक ही स्थान पर सभी चिकित्सा सुविधाएं हैं। हमारे पास एक आपातकालीन सुविधा, तृतीयक और चतुर्धातुक देखभाल, उच्च योग्य और अनुभवी डॉक्टरों के साथ अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्र है। पारस इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर बिहार में अपनी विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचे और व्यापक कैंसर देखभाल प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के लिए प्रसिद्ध है।