फाइलेरिया के मरीजों को बेहतर देखभाल के लिए मिली एमएमडीपी किट
– कोढ़ा प्रखंड के 10 तथा डंखोरा प्रखंड के 17 फाइलेरिया मरीजों को मिली किट
– मरीजों को सावधानी रखते हुए ग्रसित अंगों के देखभाल की दी गई जानकारी
– फाइलेरिया से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी
– स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को देखभाल की दी जा रही नियमित जानकारी
– विशेष देखभाल के लिए बनाया गया है पेशेंट सपोर्ट ग्रुप
कटिहार। फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों को प्रभावित अंग की बेहतर देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कटिहार जिले के कोढ़ा व डंखोरा प्रखंड में मोरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रीवेंशन (एमएमडीपी) किट प्रदान की गयी। मरीजों को किट प्रदान करते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा फाइलेरिया ग्रसित अंगों की देखभाल करने और नियमित रूप से आवश्यक दवाइयों के उपयोग करने की जानकारी दी गई। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी फाइलेरिया के मरीजों को अपने घर एवं आसपास के लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के प्रति जागरूक करने का संदेश दिया गया। कोढ़ा प्रखंड में फाइलेरिया ग्रसित 10 मरीजों को एमएमडीपी किट प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अमित आर्या, भीबीएसडी अमरनाथ सिंह की मौजूदगी में प्रदान की गई। वहीं डंखोरा प्रखंड में फाइलेरिया ग्रसित 17 मरीजों को एमएमडीपी किट प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार सिंह, बीएचएम कुमारी अन्नू, बीसीएम ऋतिका राय, भीबीडीएस रुपेश कुमार की उपस्थिति में प्रदान की गयी।
मरीजों को सावधानी रखते हुए ग्रसित अंगों के देखभाल की दी गई जानकारी :
इस अवसर पर फाइलेरिया मरीजों को ग्रसित अंगों के नियमित रूप से देखभाल की जानकारी दी गई। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी कोढ़ा, डॉ अमित आर्या ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित होने पर उसका सम्पूर्ण इलाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में ग्रसित अंगों की सही तरीके से देखभाल जरूरी है। ज्यादातर लोगों के पांव फाइलेरिया से ग्रसित होते हैं जिसे आमतौर पर हाथीपांव भी कहा जाता है। ऐसे में लोगों को इसका विशेष ध्यान रखना जरूरी है। पांव को नियमित रूप से डेटॉल साबुन से साफ करने के साथ उसमें एंटीसेप्टिक क्रीम लगानी चाहिए। इससे ग्रसित अंगों का आवश्यक नियंत्रण किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पांव के अतिरिक्त लोगों के हाथ, हाइड्रोसील व महिलाओं के स्तन भी फाइलेरिया से ग्रसित हो सकते हैं। समय से इसकी पहचान करते हुए आवश्यक चिकित्सकीय सहायता लेने से इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।
फाइलेरिया से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी :
डंखोरा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी विशेष रूप से परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से होने वाला रोग है। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देता । फाइलेरिया को खत्म करने के लिए कोई विशेष इलाज नहीं हैं लेकिन जागरूक रहकर बचाव करने से इससे उबरा जा सकता है। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बनाता है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता । संक्रमित मच्छर के काटने से बहुत छोटे आकार के कृमि शरीर में प्रवेश करते हैं। ये कृमि लसिका तंत्र की नलियों में होते हैं और उन्हें बंद कर देते । अगर समय रहते फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द ही इसका इलाज शुरू कर इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को देखभाल की दी जा रही नियमित जानकारी :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जे. पी. सिंह ने कहा कि फाइलेरिया के मरीजों की देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित रूप से ध्यान रखा जाता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को एमएमडीपी किट प्रदान की जाती है। जिसमें मरीजों को एक टब, एक मग, कॉटन बंडल, तौलिया, डेटॉल साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम जाता है । जिससे कि सम्बंधित मरीज फाइलेरिया ग्रसित अंगों का विशेष ध्यान रख सकते हैं। इसके साथ ही मरीजों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के प्रति भी जानकारी दी जाती है।
विशेष देखभाल के लिए बनाया गया है पेशेंट सपोर्ट ग्रुप :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जे. पी. सिंह ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की नियमित ध्यान रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप चलाया जा रहा है। इसके द्वारा स्थानीय क्षेत्र के सभी फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की हर माह बैठक की जाती है जिसके द्वारा उनके फाइलेरिया ग्रसित अंगों की जानकारी लेते हुए उन्हें आवश्यकतानुसार चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके साथ ही पेशेंट सपोर्ट ग्रुप द्वारा सभी स्थानीय लोगों को भी फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए नियमित साफ सफाई, मच्छरदानी का उपयोग एवं हर साल सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में भाग लेने के प्रति जागरूक किया जाता है।