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शिक्षकों की कमी एवं व्यवस्था के अभाव में दम तोड़ता नज़र आ रहा है काको का +2 उच्च विद्यालय

जहानाबाद। जिला का काको प्रखंड जहां पुर्व से शिक्षा,आर्थिक, सामाजिक,इतिहासिक एवं साहित्यिक लेहाज़ से हमेशा प्रसिद्ध रहा है। विश्व विरासत वाला इलाका काको पुरानी शान-ओ-शौकत और गंगा-जमुनी तहज़ीब का मर्कज़ भी है। इसके गली-कूचे इतिहास की बेरहम सच्चाइयों के गवाह रहे हैं। यहीं के शायरों ने अपने कलाम में ज़िक्र जिस जज़्बाती अन्दाज़ में किया है वह पढ़ने से ज़्यादा महसूस करने की बात है और मेरे लिए भी यह खुशकिस्मती की बात है कि मैं भी इसी काको से संबंध रखता हूँ। काको +2 उच्च विद्यालय से ढेर सारे लोग शिक्षा प्राप्त कर पूरी दुनिया में नाम रौशन कर चुके हैं। वर्तमान स्थिती है उसी काको हाई स्कूल में शिक्षकों की कमी से बच्चों का भविष्य दांव पर दिखता नज़र आ रहा है। सरकार हर साल शिक्षा पर पानी की तरह पैसा बहा रही है, लेकिन व्यवस्था में सुधार नहीं है। काको में एक भी ऐसा स्कूल नहीं जहां सभी विषयों के टीचर तैनात हों। स्कूलों डिमांड के बाद भी संसाधन नहीं बढ़ाए जा रहे हैं। वैसे तो पूरे बिहार में कोई भी ऐसा विद्यालय नहीं जहां एक साथ सभी विषयों के शिक्षक बहाल हों, टीचरों की कमी से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अनुमान भी कैसे लगाया जा सकता है। शिक्षक और टीचर अनुपात में 30 छात्रों पर एक टीचर होना चाहिए लेकिन काको के स्कूलों में यह मानक फेल है। टीचरों की कमी के साथ वहां भवन की भी समस्या है जिस से बच्चों का भविष्य भी प्रभावित हो रहा है। यानि के काको हाई स्कूल की पूरी व्यवस्था डगमगा गई है। वहां बच्चे नामांकन तो लेते हैं लेकिन पठन-पाठन के लिए निजी कोचिंग संचालकों की ओर रुख करने को बाध्य रहते हैं, हालत यह है कि इस विद्यालय में इंटर विज्ञान संकाय विद्यार्थियों का नामांकन है, लेकिन विज्ञान विषय के साथ-साथ गणित के शिक्षक यहां कार्यरत नहीं है। विद्यालय के माध्यमिक कक्षाओं की बात करें तो यहां भी स्थिति शिक्षकों की कमी के कारण डामाडोल ही है। इस हालात में समझा जा सकता है कि इन बच्चों का सिलेबस कैसे पूरा होता होगा इक्के दुक्के विषय को छोड़ अन्य महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक यहां कार्यरत नहीं है। इस स्थिति में काको इंटर स्तरीय विद्यालय सरकार की शिक्षा कि सु²ढ़ीकरण की बात पूरी तरह दम तोड़ता नजर आता है। शिक्षकों की कमी के साथ-साथ मूलभूत संसाधन भी उसे मुहैया नहीं हैं। विद्यालय में बहुत कम बेंच डेस्क हैं जबकि नामांकित बच्चों की संख्या हज़ारो में है। ऐसे में जब एक साथ सभी बच्चे स्कूल पहुंचते हैं तो बैठने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। टेन प्लस टू विद्यालय में भी फर्श पर बैठने की नौबत आ जाती है। जिला प्रशासन या राज्य सरकार का कोई भी आयोजन जहानाबाद में हो और उसमें काको +2 उच्च विद्यालय के छात्र- का जलवा नहीं रहे ऐसा संभव ही नहीं रहता। वहां के बच्चे हमेशा कला संस्कृति व खेलकूद जैसे एक्स्ट्रा एक्टिविटी में अपने प्रतिभा का जौहर बिखेरते रहे हैं। यदि विद्यालय में शिक्षकों की कमी को दूर किया जाए तो यह विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना अलग मुकाम हासिल कर सकता है।

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