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नोबेल प्राइज डे: सीएम नीतीश कुमार को क्लाइमेट चेंज के लिए नामिनेट करने की हो चुकी है पहल, जानिए कब और क्यों दिया जाता है ये पुरस्कार

भागलपुर। नोबेल प्राइज डे पर बात करेंगे बिहार के सियासी गलियारे में उठी चर्चा पर। साल 2019 को जदयू के एमएलसी ने बिहार विधान परिषद में पर्यावरण पर हो रही बहस के दौरान सीएम नीतीश कुमार को नोबेल पुरस्कार देने की मांग की। जदयू एमएलसी खालिद अनवर के इस बयान के बाद राजनीति गर्मा उठी। वहीं, चर्चा तेज हो गई कि यदि सीएम नीतीश को ये पुरस्कार मिलता है तो वे बिहार के पहले ऐसे व्यक्ति विशेष होंगे, देश के पहले सीएम और नेता होंगे, जिन्हें ये पुरस्कार मिलेगा।

खालिद ने चर्चा करते हुए कहा था कि बिहार में जलवायु परिवर्तन के लिए जो काम सीएम नीतीश कुमार ने किए हैं, वो सराहनीय हैं। लिहाजा, खुद बिल गेट्स ने उनकी तारीफ की। उन्होंने तर्क देते हुए ये भी कहा था कि क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग को लेकर 2007 में अमेरिका के वाइस प्रेसिडेंट अल्बर्ट गोरे जूनियर को नोबेल प्राइज मिल चुका है। तो क्या नीतीश कुमार को नहीं मिल सकता?

राजनीति हुई, कुछ दिन चर्चा चली और फिर ये पहल शांत हो गई। ऐसे में हम नोबल प्राइज डे पर आपको बताएंगे कि कैसे और कब नोबेल प्राइज दिया जाता है।

नोबल प्राइज के बारे में

  • भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान, अर्थशास्त्र, शांति और साहित्य के क्षेत्र में दुनिया का सर्वोच्च पुरस्कार नोबेल पुरस्कार है।
  • 1901 में पुरस्कार की शुरुआत नोबल फाउंडेशन की ओर की गई थी।
  • स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में ये पुरस्कार दिया जाता है।
  • मानव जाति को फायदा पहुंचाने वाले लोगों को सम्मानित किया जाता है।
  • इस प्राइज के तहत विजेता को एक मेडल, एक डिप्लोमा और मोनेटरी अवार्ड दिया जाता है।

कैसे दिया जाता है प्राइज

नोबल फाउंडेशन नोबेल पुरस्कारों का आर्थिक रूप से संचालन करता है। नोबेल फाउंडेशन में 5 लोगों की टीम है, जिसका मुखिया स्वीडन की किंग ऑफ काउन्सिल तय करती है। शेष 4 लोग पुरस्कार वितरक संस्थान के ट्रस्टियों की ओर से तय किए जाते हैं। 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्य तिथि पर इस आवार्ड को दिया जाता है। जिसे स्वीडन के राजा के हाथों से विजेताओं को दिया जाता है। बता दें कि प्रति वर्ष अक्टूबर में विजेताओं के नामों की घोषणा हो जाती है।

नोबेल की संपत्ति के ब्याज पर चलता है ट्रस्ट

355 अविष्कार करने वाले अल्फ्रेड नोबेल का नाम महान वैज्ञानिकों में दर्ज है। उनकी मृत्यु 10 दिसंबर 1896 को हुई थी। इससे पहले उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा ट्रस्ट के नाम कर दिया था। नोबेल की अंतिम इच्छा थी कि ये ट्रस्ट उन लोगों को सम्मानित करे, जिन्होंने मानव जाति के लिए कल्याणकारी काम किए हो। स्वीडन के बैंक में जमा संपत्ति के पैसों के ब्याज से इसका ट्रस्ट का संचालन आज तक हो रहा है। उसी से विजेताओं को सम्मानित किया जाता है।

अब तक 10 भारतीयों को मिल चुका है नोबेल पुरस्कार

रवीन्द्रनाथ टैगोर को साहित्य के क्षेत्र में, चन्द्रशेखर वेंकटरमन को भौतिकी, मदर टेरेसा को शांति, अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र, हरगोविन्द खुराना को मेडिसिन के लिए, सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर को भौतिकी, वेंकटरामन रामकृष्णन को रसायन शास्त्र, वीएस नायपॉल को साहित्य, अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र और कैलाश सत्यार्थी को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। भारत में क्लाइमेट चेंज के लिए अभी तक किसी को आवार्ड नहीं मिला है। हालांकि इस साल अक्टूबर में हुए विजेताओं के ऐलान में जलवायु का फिजिकल माडल तैयार करने वाले तीन वैज्ञानिकों का चयन हुआ है। भौतिकी का नोबेल कैटगरी में स्यूकुरो मानेबे, क्लॉस हैसलमैन और जियोर्जियो पेरिसिक शामिल हैं। तीनों ने जटिल फिजिकल सिस्टम को समझने के लिए जरूरी खोजें की। ऐसा फिजिकल माडल तैयार किया जिससे जलवायु में होने वाले बदलाव और ग्लोबल वार्मिंग पर अनुमान लगाया जा सकता है।

जल जीवन हरियाली

सीएम नीतीश कुमार का जल जीवन हरियाली पर्यावरण संरक्षण के लिए एक शानदार पहल मानी जाती है। इसके लिए बिहार सरकार ने सबसे ज्यादा बजट का प्रविधान भी किया है। योजना के तहत बिहारभर के पोखर, नदी, तालाबों और जलाशयों को चिन्हित किया जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैं। वर्षा के जल को संग्रहित करने की दिशा में भी काम हो रहा है। लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक भी किया जा रहा है। सोशल इंजीनियरिंग में माहिर नीतीश कुमार का जल जीवन हरियाली प्रोजेक्ट को लेकर प्रदेशभर की यात्रा कर चुके हैं और समय-समय पर समीक्षा भी करते रहते हैं।

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