यूपी में योगी बनाम नीतीश : जेडीयू-बीजेपी में नहीं बनी बात, अब योगी के खिलाफ प्रचार करेंगे सीएम नीतीश
नई दिल्ली/पटना: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी से झटका मिलने के बाद जेडीयू अकेले दम ही चुनाव मैदान में उतर रही है. जेडीयू ने यूपी चुनाव के लिए 26 सीटों की पहली सूची जारी कर दी है. यूपी में अकेले चुनाव लड़ने पर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि आरसीपी सिंह के कारण सूची जारी करने में देरी हुई. इससे साफ है कि यूपी में नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे.बिहार में भारतीय जनता पार्टी के साथ जनता दल यूनाइटेड की साझा सरकार चल रही है. ऐसे में 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू का पूरा मन था कि भाजपा के साथ मैदान में उतरे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ कई बार मुलाकात और सीटों को लेकर बातचीत के बावजूद दोनों पार्टियां एक नहीं हो पाईं. आखिरकार अब जनता दल यूनाइटेड ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में जनता दल यूनाइटेड को उम्मीद है कि पार्टी के प्रत्याशी बेहतर प्रदर्शन करेंगे.बता दें कि यूपी में बीजेपी से गठबंधन के लिए जेडीयू की तरफ से 27 सीटें मांगी जा रही थी, वहीं जेडीयू की एक शर्त ये भी थी कि अनुप्रिया पटेल की अपना दल से भले एक सीट भारतीय जनता पार्टी जेडीयू को ज्यादा दे तभी गठबंधन होगा, लेकिन आखिर में सीटों पर बात नहीं बनी और यूपी में दोनों की राहें अलग हो गई.दरअसल, 2017 में भी जेडीयू ने चुनाव लड़ने की तैयारी की थी, लेकिन बाद में फैसला बदल दिया. अभी बंगाल चुनाव में भी पार्टी ने किस्मत अजमाई, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि नीतीश कुमार शराबबंदी, महिला आरक्षण, सात निश्चय योजना और सुशासन की छवि को लेकर यूपी में जाएंगे, लेकिन पिछड़ा और अति पिछड़ा कार्ड भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. उत्तर प्रदेश में नीतीश कुमार की कुर्मी वोट बैंक वाली सीटों पर भी नजर है. यूपी की 16 जिलों में कुर्मी और पटेल वोट बैंक 6 से 12 फीसदी तक है. इसमें इलाहाबाद, सीतापुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, बहराइच, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और बस्ती जिले प्रमुख हैं.बिहार से सटे पूर्वांचल पर नीतीश कुमार की खास नजर है ऐसे यूपी में कुर्मी वोट बैंक की बात करें तो 9 से 10 फीसदी के आसपास है. वहां अपना दल इन वोटों पर दावा करता रहा है और एक समय नीतीश कुमार ने अपना दल के साथ समझौता भी किया था, लेकिन उसका कुछ लाभ मिला नहीं. यूपी में जातीय गणित की बात करें तो कुर्मी और पटेल 9 फीसदी, अन्य पिछड़ी जातियां 7 प्रतिशत, यादव 12, सवर्ण 18, एससी-एसटी 20, विश्वकर्मा 2, मल्लाह 4, जाट 5 और मुस्लिम 18 फीसदी के आसपास है. बिहार में कुर्मी वोट बैंक पर नीतीश कुमार की पकड़ है. जेडीयू की नजर बिहार से सटे उत्तर प्रदेश की सीटों पर थी. उत्तर प्रदेश के बिहार से सटे विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी भी कर रहा था