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100 गांवों को गोद लेकर ग्रामीण भारत में डायबिटीज का बोझ कम करना है आरएसएसडीआई का उद्देश्य

ग्रामीण जनसंख्या में डायबिटीज की देखभाल के लिए 100 गांवों को गोद लेने की प्रक्रिया तेज की आरएसएसडीआई ने
● समय से जांच, ग्लूकोमीटर जैसे बड़े फायदे मिलेंगे ग्रामीण जनसंख्या को
● आशा कार्यकर्ताओं के तालमेल से एनसीडी रोकथाम में सहायता के लिए सरकार की अनुमति का इंतजार है आरएसएसडीआई को

 

धनबाद। डायबिटीज के क्षेत्र में शोध करने वाली अग्रणी सोसाइटी आरएसएसडीआई (रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया) देशभर में 100 गांवों को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर रही है। इसका उद्देश्य आरएसएसडीआई की डॉक्टर्स की टीम के निर्देशन में डायबिटीज की मानक देखभाल, इसके प्रबंधन के लिए ग्रामीणों को कुशल बनाना, ग्रामीणों में मोटापे और तनाव की जांच करना, डायबिटीज और अन्य गैर-संचारी रोगों के बारे में समय-समय पर शैक्षिक सत्र का आयोजन करना है। इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए, आरएसएसडीआई ने रोटरी इंडिया से हाथ मिलाया है। इसके लिए, भविष्य में उनके साथ एमओयू भी साइन किया जाएगा। वर्तमान में, आरएसएसडीआई इस कार्यक्रम के संचालन के लिए रोटरी इंडिया से बातचीत की प्रक्रिया में है। इस प्रगतिशील पहल का नेतृत्व करने वालों में राष्ट्रीय आरएसएसडीआई के अध्यक्ष डॉ. ब्रज मोहन मक्कड़, राष्ट्रीय आरएसएसडीआई के अवैतनिक सचिव डॉ. संजय अग्रवाल, एग्जिक्यूटिव कमेटी से डॉ. अमित गुप्ता; डॉ. राकेश सहाय और डॉ. वसंत कुमार शामिल हैं। गांवों को गोद लेने के आरएसएसडीआई के इस कार्यक्रम का उद्देश्य इस योजना के अंतर्गत चुने जाने वाले गांवों में प्रत्येक व्यक्ति को लाभ पहुंचाना है। इस कार्यक्रम में पूरे समुदाय की जांच, कम्युनिटी-बेस्ड एसेसमेंट चेकलिस्ट (सीबीएसी), समुदाय में जुड़ाव और स्वास्थ्य सुधार, किसी भी गैर-संचारी रोग के शक में आने वाले व्यक्ति को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में भेजने की संस्तुति, इन गैर-संचारी रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के स्वास्थ्य की जानकारी रखना और उपचार-योजना का पालन किए जाने की जांच करना आदि शामिल हैं। सरकार की अनुमति मिल जाने के बाद, गैर-संचारी रोगों की रोकथाम में आशा कार्यकर्ताओं को आरएसएसडीआई का सहयोग मिल सकेगा। इसके अतिरिक्त, आरएसएसडीआई ब्लड ग्लूकोज मीटर, स्ट्रिप्स, बीपी उपकरणों और शैक्षिक सामग्री के रूप में अपना विश्वास भी प्रदान करेगा।
इस कार्यक्रम की जरूरत के बारे में बताते हुए आरएसएसडीआई के अध्यक्ष डॉ. एन.के. सिंह, धनबाद ने गांवों को गोद लेने के मानकों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, “गांवों को गोद लेने के लिए मानक उस क्षेत्र में चिकित्सा-सुविधाओं के स्तर पर आधारित है। आरएसएसडीआई प्रयास कर रही है कि खराब चिकित्सा ढांचे वाले ऐसे गांवों को अपनाया जाए, जहां बहुत सीमित चिकित्सा सुविधाएं हों। गांवों का चयन अनेक चरणों के अंतर्गत किया जाए। सबसे पहले, आरएसएसडीआई सदस्य संभावित गांवों का दौरा करेंगे और चिकित्सा देखभाल में उनकी जरूरतों की पहचान करेंगे। संभावित गांवों के आकलन के बाद, आरएसएसडीआई सदस्य गांव को गोद लेने के लिए एक प्रस्ताव तैयार करेंगे और इसे आरएसएसडीआई के राज्य चैप्टर या आरएसएसडीआई के केंद्रीय दल के पास भेजेंगे। संपूर्ण कार्यक्रम की निगरानी के लिए, राज्य चैप्टर्स के प्रतिनिधियों के साथ आरएसएसडीआई की केंद्रीय समिति बनाई गई है। हमें आशा है कि इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को संचालित करने के लिए सरकार का सहयोग और सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त, हम स्थानीय स्तर भी प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी का स्वागत करेंगे, जो हमें इस परियोजना को सफलतापूर्वक लागू करने में सहायता दे सकें।”

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