एमडीए की सफलता को लेकर नगर निगम के महापौर की अध्यक्षता में पार्षदों की हुई बैठक
निगम सभी पार्षद अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों को करेंगे जागरूक: महापौर
फाइलेरिया से बचाव के लिए एमडीए की ख़ुराक़ जरूर खाएं: उप महापौर
अफवाहों में नहीं पड़ें, आशा दीदी से दवा खाएं: डॉ जयप्रकाश सिंह
कटिहार। फाइलेरिया बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ ही नगर निगम के महापौर, उप महापौर सहित सभी वार्ड सदस्यों ने अपनी सहमति जताई है। नगर निगम सभागार में महापौर उषा देवी अग्रवाल एवं उप महापौर मंजूर खान की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान नगर निगम के सभी वार्ड पार्षद, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जय प्रकाश सिंह, वेक्टर बॉर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी नंद किशोर मिश्रा, केयर इंडिया के डीटीएल प्रदीप बेहरा, डीपीओ चंदन कुमार सिंह, पीसीआई के डीसी तपेश कुमार, सीफार की डीसी पल्लवी कुमारी, केयर इंडिया के बीसी अभिमन्यु चौधरी, पीसीआई के बीसी प्रवीण कुमार ठाकुर, सीफार के डीपीसी धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी सहित कई अन्य अधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे।
निगम सभी पार्षद अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों को करेंगे जागरूक: महापौर
नगर निगम की महापौर उषा देवी अग्रवाल ने कहा कि आगामी 10 फरवरी से फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम की शत प्रतिशत सफ़लता को लेकर निगम क्षेत्र के सभी वार्ड पार्षदों के साथ बैठक का आयोजन किया गया है। जिसमें अपने-अपने क्षेत्रों के निवासियों को जागरूक करना होगा। ताकि शत प्रतिशत दवा खिलाई जा सके। सबसे ख़ास बात यह है कि फाइलेरिया की खुराक खिलाने के लिए तीन एज ग्रुप का निर्धारण किया गया है। जिसमें 02 आयुवर्ष से लेकर 5 वर्ष के सभी बच्चों को एक अल्बेंडाजोल एवं एक डीईसी की दवा खिलाई जाएगी। वहीं 06 से 14 वर्ष तक के बच्चों को एक अल्बेंडाजोल एवं 2 डीईसी तथा 15 वर्ष से ऊपर के लोगों को एक अल्बेंडाजोल तथा 3 डीईसी की खुराक दी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं के अलावा गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को फाइलेरिया की दवा नहीं खिलाई जाएगी। फाइलेरिया जैसी लाइलाज़ बीमारी से बचना है तो एमडीए की खुराक खानी ही पड़ेगी क्योंकि अभी तक इसका स्थायी उपचार संभव नहीं है।
फाइलेरिया से बचाव के लिए एमडीए की ख़ुराक़ जरूर खाएं: उप महापौर
उप महापौर मंजूर आलम ने कहा कि जन-स्वास्थ्य से जुड़े फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर आगामी 10 फरवरी से प्रस्तावित एमडीए (सर्वजन दवा सेवन) कार्यक्रम की शत सफलता के लिए कटिहार ज़िले सहित नगर निगम क्षेत्र में तैयारियों को लेकर स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा आयोजित बैठक के बाद एमडीए दवा खाने वालों की संख्या में इज़ाफ़ा होगा। क्योंकि वर्ष 2021 के दौरान लक्ष्य के अनुरूप शहरवासी दवा नहीं खाए थे। एमडीए की दवा खिलाने के लिए आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका एवं स्वयंसेवकों को इस अभियान में लगाया गया है। जो एक साथ पूरे शहरवासियों को फाइलेरिया की खुराक खिलाने का काम करेंगे। अगर दो साल की उम्र पूरी करने के बाद पांच साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया की दवा का सेवन किया जाए तो कोई भी व्यक्ति इस बीमारी से प्रतिरक्षित हो जाता है। ज़िले के फाइलेरिया मरीज़ों के बीच स्वास्थ्य विभाग के अलावा केयर इंडिया, डब्ल्यूएचओ, पीसीआई, सीफार के अलावा नेटवर्क सदस्यों द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाकर स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा।
अफवाहों में नही पड़ें, आशा दीदी से दवा खाएं: डॉ जय प्रकाश सिंह
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जय प्रकाश सिंह ने बताया कि लगभग 3 लाख जनसंख्या वाले नगर निगम क्षेत्र के सभी 45 वार्ड में लगभग 59399 मकानों को चिह्नित किया गया है, जिसमें लगभग 2 लाख 55 हज़ार व्यक्तियों को फाइलेरिया उन्मूलन के लिए दवा खिलाई जाएगी। दवा खाने के बाद बुखार, सर दर्द, उल्टी, शरीर दर्द या उल्टी जैसा होना आम बात भी हो सकती लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि दवा खाने के बाद व्यक्ति के अंदर अगर माइक्रो बैक्टीरिया है तो उनके साथ इस तरह की प्रक्रिया होने की संभावना जताई जा सकती है लेकिन कुछ ही समय के अंतराल पर सब कुछ ठीक हो जाएगा। दवा खिलाने से पहले या बाद में तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा सकती हैं। लेकिन वैसा कुछ होता नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दो वर्ष से कम एवं गर्भवती महिलाओं के अलावा गंभीर रूप से ग्रसित बीमारी वाले व्यक्ति या महिलाओं को दवा नहीं खिलानी है।
फाइलेरिया से बचाव को लेकर बरतें सतर्कता:
-अपने घर के आसपास एवं अंदर सफाई का रखें विशेष ख़्याल।
-मच्छर के काटने से फैलता है फाइलेरिया, इसीलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए।
-आसपास कहीं भी पानी को जमा नहीं होने दें।
-समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करते रहना चाहिए।
-सोते समय हाथों एवं पैरों सहित अन्य खुले भाग पर सरसो या नीम का तेल लगाएं।
-हाथ या पैर में कहीं चोट लगी हो या घाव हो तो उसकी नियमित रूप से करें सफ़ाई।