ब्रेकिंग
अडानी से लेकर मणिपुर तक… कांग्रेस ने बताया किन मुद्दों को संसद सत्र में उठाएगी जंगल से मिला लड़के का शव…रेत दिया गया था गला, पुलिस ने दो दोस्तों से की पूछताछ, एक ने लगा ली फांसी महाराष्ट्र में प्रचंड जीत के बाद सरकार बनाने की तैयारी तेज, BJP-शिवसेना-NCP की अलग-अलग बैठकें पत्थर तो चलेंगे… संभल बवाल पर बोले रामगोपाल यादव, अखिलेश ने कहा- सरकार ने जानबूझकर कराया पाकिस्तान से जंग में तीन बंकरों को कर दिया था नेस्तनाबूद , कहानी गाजीपुर के राम उग्रह पांडेय की झारखंड: जिस पार्टी का जीता सिर्फ एक विधायक, उसने भी बोला दे दूंगा इस्तीफा गाजियाबाद: डासना मंदिर के बाहर फोर्स तैनात, यति नरसिंहानंद को दिल्ली जाने से रोका, ये है वजह गूगल मैप ने दिया ‘धोखा’… दिखाया गलत रास्ता, पुल से नदी में गिरी कार, 3 की मौत 30 लाख की नौकरी छोड़ी, UPSC क्रैक कर बने IPS, जानें कौन हैं संभल के SP कृष्ण कुमार बिश्नोई? संभल: मस्जिद के सर्वे को लेकर 1 घंटे तक तांडव… फूंक दीं 7 गाड़ियां, 3 की मौत; बवाल की कहानी

उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा देकर की थी गलती!

उद्धव की गलती शिवसेना पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में बन गया मुद्दा

नई दिल्ली । शिवसेना (ठाकरे) बनाम शिवसेना (शिंदे) मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से उद्धव ठाकरे का शक्ति परीक्षण से पहले इस्तीफा देना सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण बिन्दु बन सकता है। महाराष्ट्र के राजनैतिक संकट की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ कर रही है। उद्धव ठाकरे ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण से एक दिन पूर्व 29 जून 2022 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ ने इस मुद्दे को सुनवाई के दौरान कई बार उठाया है। ठाकरे गुट के वकीलों की दलील है कि नई सरकार इसलिए चुनी गई, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने दो आदेश दिए थे। वकीलों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अब यथास्थिति बहाल करनी चाहिए। इस पर बेंच ने पूछा कि तब क्या होता, यदि शक्ति परीक्षण सदन में हो गया होता।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई शक्तिपरीक्षण व विश्वास मत हासिल करने के राज्यपाल के आदेश को स्टे करने से मना कर दिया था, लेकिन, साथ में यह कहा था कि यह विश्वास मत सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं के परिणाम पर निर्भर करेगा। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने इससे पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस मुद्दे पर जस्टिस एमआर शाह ने वकीलों से पूछा 29 जुलाई का आदेश बहुत स्पष्ट था कि 30 जुलाई को होने वाला फ्लोर टेस्ट याचिकाओं के फैसले पर निर्भर करेगा। इस स्थिति में (जब उद्धव ठाकरे शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे चुके थे तो) अब यथा स्थिति बहाल करने का क्या मतलब है। आप इसे होने तो देते, लेकिन आपने पहले ही इस्तीफा देने का विकल्प चुना।
इस पर वकीलों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट तथ्यों का कोर्ट है। यहां तथ्य ही सुप्रीम हैं। यह पहले से ही स्पष्ट था कि 29 जुलाई को सदन में क्या होने वाला है। यह सही है कि तकनीकी शब्द विश्वास मत का प्रयोग हुआ था, लेकिन सदन में जिस परीक्षण की अनुमति दी गई थी, उसमें शिंदे गुट के 39 विधायक हमारे खिलाफ वोट देते तो यह अवश्यंभावी था। इस फजीहत से बचने का एक ही उपाय था कि हम मैदान छोड़ देते। हम वास्तविक दुनिया में हैं, वहां कोई गणित नहीं था, कोई विज्ञान नहीं था, कोई फिजिक्स नहीं था, जो 30 जुलाई को आने वाले इस नतीजे को बदल सकता था।
कोर्ट ने जब पूछा कि वे कोर्ट से क्या राहत मांगने की उम्मीद कर सकते हैं तो सिंघवी ने कहा कि प्रभावी राहत यही है कि यथा स्थिति को बरकरार किया जाए। शपथ ग्रहण की कार्यवाही गलत थी और कोर्ट यह कह सकता है कि इसे दोबारा किया जाए। यह शपथ को उलटने के जैसा होगा।
प्रक्रिया की शुद्धता के लिए उपाध्यक्ष को अयोग्यताओं की अर्जी का फैसला करने दिया जाए जो वह स्टे आदेश से पहले करते। उन्होंने कहा कि यदि न्यायिक आदेश में कुछ गलत हो गया है, जो कानून सम्मत नहीं है तो उससे पैदा होने वाले सभी प्रभाव और नतीजे खड़े नहीं रह पाएंगे। अब मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.