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टीबी पर जन जागरूकता के लिए मीडिया का सहयोग जरूरी: सिविल सर्जन

ड्रॉपलेट के माध्यम से फैलता है टीबी

2025 से पहले जिला को टीबी मुक्त करने का लिया संकल्प

सीतामढ़ी। राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत जिला यक्ष्मा विभाग में मंगलवार को मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जन समुदाय में यक्ष्मा उन्मूलन हेतु जागरूकता एवं प्रचार प्रसार किया जाना था। कार्यशाला के दौरान जिला यक्ष्मा पदाधिकारी द्वारा यक्ष्मा रोग के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा गया कि यह रोग एयर ड्रॉपलेट के माध्यम से फैलता है जिस के जीवाणु का नाम माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस है, यक्ष्मा रोग का मुख्य लक्षण दो या दो से अधिक सप्ताह से खांसी, शाम में बुखार आना, थकान, कमजोरी, वजन घटना, रात में पसीना आना हैं। इस रोग की पहचान बलगम के माइक्रोस्कोपिक अथवा नाट टेस्ट से किया जा सकता है। माइक्रोबायोलॉजिकली कंफर्म नहीं होने की स्थिति में एक्सरे के द्वारा भी इसका पहचान किया जा सकता है । यह सभी जांच सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर निशुल्क उपलब्ध है । सरकार द्वारा यक्ष्मा मरीजों को निक्षय पोषण योजना अंतर्गत प्रतिमाह ₹500 की राशि डीवीटी के माध्यम से उनके बैंक खाता में इलाज अवधि तक भेजी जाती है। यक्ष्मा की दवा खिलाने वाले ट्रीटमेंट सपोर्टर को भी इलाज अवधि पूर्ण होने पर ₹1000 का प्रोत्साहन राशि दिया जाता है। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान अंतर्गत निक्षय मित्र के सहयोग से जरूरतमंद यक्ष्मा मरीजों को न्यूट्रिशनल सपोर्ट के रूप में फूड पैकेट का वितरण किया जा रहा है। सिविल सर्जन सीतामढ़ी द्वारा प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आए हुए बंधुओं को अपने स्तर से समाज में जागरूकता लाने एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जन जागरूकता फैलाने में सहयोग की मांग की गई एवं वर्ष 2025 से पहले सीतामढ़ी जिला को टीवी मुक्त किए जाने हेतु सामूहिक रूप से संकल्प लिया गया। मौके पर सिविल सर्जन डॉ सुरेश चंद्र लाल एवं जिला जन सूचना एवं संपर्क पदाधिकारी  कमल सिंह,डॉ मुकेश कुमार जिला यक्ष्मा पदाधिकारी उपस्थित थे। वहीं डॉ मुकेश कुमार जिला यक्ष्मा पदाधिकारी सीतामढ़ी एवं डॉ मनोज कुमार पूर्व जिला यक्ष्मा पदाधिकारी सीतामढ़ी की उपस्थिति में मंगलवार को राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत जिले के धर्मगुरुओं के साथ कार्यशाला बैठक का आयोजन किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य धर्म गुरुओं के सहयोग से जन समुदाय में यक्ष्मा उन्मूलन हेतु जागरूकता एवं प्रचार प्रसार किया जाना है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी द्वारा यक्ष्मा रोग के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा गया कि यह रोग एयर ड्रॉपलेट के माध्यम से फैलता है जिस के जीवाणु का नाम माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस है, यक्ष्मा रोग का मुख्य लक्षण दो या दो से अधिक सप्ताह से खांसी, शाम में बुखार आना, थकान, कमजोरी, वजन घटना, रात में पसीना आना आदि हैं। इस रोग की पहचान बलगम का माइक्रोस्कोपिक अथवा नाट टेस्ट से किया जा सकता है। माइक्रोबायोलॉजिकली कंफर्म नहीं होने की स्थिति में एक्सरे के द्वारा भी इसका पहचान किया जा सकता है । यह सभी जांच सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर निशुल्क उपलब्ध है । सरकार द्वारा यक्ष्मा मरीजों को निक्षय पोषण योजना अंतर्गत प्रतिमाह ₹500 की राशि डीवीटी के माध्यम से उनके बैंक खातों में इलाज अवधि तक भेजी जाती है। यक्ष्मा की दवा खिलाने वाले ट्रीटमेंट सपोर्टर को भी इलाज अवधि पूर्ण होने पर ₹1000 का प्रोत्साहन राशि दिया जाता है। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान अंतर्गत निक्षय मित्र के सहयोग से जरूरतमंद यक्ष्मा मरीजों को न्यूट्रिशनल सपोर्ट के रूप में फूड पैकेट का वितरण किया जा रहा है। जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा धर्मगुरुओं से अपील की गई कि अपने स्तर से समाज में जागरूकता लाने एवं अपने अनुयायियों से समाज में संदेश देते हुए टीवी मुक्त सीतामढ़ी के निर्माण में अपना सहयोग दें एवं वर्ष 2025 से पहले सीतामढ़ी जिला को टीवी मुक्त किए जाने हेतु सामूहिक रूप से संकल्प लिया गया। दिनांक 10 मार्च 2023 से आयोजित होने वाले सीतामढ़ी जिला क्षय रोग जागरूकता एवं खोज अभियान को सफल बनाने हेतु सभी धर्म गुरुओं से सहयोग की अपील की गई एवं वैसे इलाकों को चिन्हित करने में जहां यक्ष्मा के संभावित मरीज हो सकते हैं की सूची तैयार की गई एवं प्राथमिकता के आधार पर उन स्थानों पर हाउस टू हाउस सर्वे कराने का निर्णय लिया गया। सभी धर्म गुरुओं से आरती एवं तकरीर के दौरान यक्ष्मा के लक्षणों सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं एवं जिला में चल रहे कार्यक्रम की जानकारी जन समुदाय को देने की अपील की गई।

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