नाटक के माध्यम से बताया कि बाल मजदूरी इंसानियत के लिए अपराध
फुलवारी शरीफ। सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच की ओर से साप्ताहिक (रविवारीय) नुक्कड़ नाटक की श्रृंखला में महेश चौधरी द्वारा लिखित एवं अमन राज द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक “बचपन की खुशी छीन रही बाल मजदूरी” की प्रस्तुति वाल्मी फुलवारीशरीफ में की गई। नाटक की शुरुआत सौरभ राज के स्वरबध्द गीत- बच्चा भगवान होला जाने ले जहान ई महान होला हो, इहे देशवा के शान ई महान होला हो… से की गई। नाटक के माध्यम से यह बताया गया कि बाल मजदूरी इंसानियत के लिए अपराध है जो समाज के लिए श्राप बनता जा रहा है। बचपन जीवन का सबसे यादगार क्षण होता है जिसे हर एक को जन्म से जीने का अधिकार है। बचपन सभी के जीवन में विशेष और सबसे खुशी का पल होता है जिसमें बच्चे प्रकृति, प्रियजनों और अपने माता-पिता से जीवन जीने का तरीका सीखते हैं सामाजिक, बौद्धिक, शारीरिक और मानसिक सभी दृष्टिकोण से बाल मजदूरी बच्चों की वृद्धि और मानसिक विकास में अवरोध का काम करता है। बाल मजदूरी भारत में बड़ा सामाजिक मुद्दा बनता जा रहा है जिसे नियमित आधार पर हल करना चाहिए। यह मुद्दा सभी के लिए है जो कि व्यक्तिगत तौर पर सुलझना चाहिए क्योंकि यह किसी के भी बच्चे के साथ हो सकता है। गरीबी के कारण गरीब माता-पिता अपने बच्चों को घर-घर और दुकानों में काम करने के लिए भेजते हैं दुकान और छोटे व्यापारी भी बच्चों से काम तो बड़े लोगों के जितना करवाते हैं परंतु दाम उनसे आधा देते हैं क्योंकि वह बच्चे हैं। नाटक के कलाकार महेश चौधरी, सौरभ राज, अमन, नमन, करण, नमन, रोहित, प्रमोद, हरिकांत, रंजन, गोलू, शशांक, कामेश्वर, जगतनारायण भट्ट थे।