युडायस के आड़ में निजी विद्यालयों को बंद करवाने की रची जा रही साजिश : शमायल
पटना। छात्र डेटा संग्रह के लिए देश भर में यूडायस प्लस पोर्टल को लागू करने के लिए शिक्षा विभाग के हालिया प्रयास की पुर्णत: आलोचना की गई है क्योंकि इसके लिए प्रत्येक छात्र के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता है। इस कदम ने निजी स्कूलों एवं अभिभावकों के बीच चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि इससे छात्रों को आधार कार्ड प्राप्त करने की आवश्यकता होगी, जिससे संभावित व्यवधान और लंबी कतारें नोटबंदी युग की याद दिलाती हैं। उल्लेखनीय है कि भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पहले निजता के मौलिक अधिकार के उल्लंघन का हवाला देते हुए एक अनुबंध के तहत किसी भी उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए निजी संस्थाओं द्वारा व्यक्तिगत आधार संख्या के उपयोग के खिलाफ फैसला सुनाया है। शिक्षा विभाग ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए सभी अभिभावकों को नोट बंदी की तरह आधार कार्ड बनवाने हेतु लाइन में खड़ा करने के का पूर्ण इंतजाम कर दिया है । राष्ट्रिय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने कहा की युडायस प्लस पोर्टल के आड़ में शिक्षा विभाग ने निजी विद्यालयों को बंद करवाने की साजिश रची है जो सभी अभिभावकों एवं विद्यार्थियों के समझ में बखूबी आरहा है । शिक्षा विभाग ने सूबे के 2005 निजी विद्यालयों को बंद करने का फरमान जारी किया है जो निंदनीय है । यु डायस प्लस पोर्टल एक सॉफ्टवेर है जिसमे विद्यार्थियों के डेटा को भरना था अब इस कार्य को पूर्ण नहीं करने पर निजी विद्यालयों को मृत्यु दंड दिया जा रहा है जो कतई भी मान्य नहीं है । इस तरह के तुगलकी फरमान का विरोध पूरा राज्य के निजी विद्यालय संचालक , शिक्षक एवं अभिभावक करेंगे । शिक्षा विभाग ने दिखावे की सभी पराकाष्ठा को पार करते हुए सिर्फ शिक्षा के अधिकार के तहत पढने वाले बच्चो के नामांकन का फरमान सरकारी विद्यालयों में जारी किया है परन्तु अन्य श्रेणी के बच्चो से आँखे मूंद ली है । जिन विद्यालयों को शिक्षा विभाग ने बंद करने का फरमान जारी किया है उनमे पढ़ने वाले अन्य विद्यार्थियों एवं पढ़ाने वाले शिक्षको एवं अन्य कर्मचारी के बारे में क्या शिक्षा विभाग ने सोचा है की उनका एवं उनके परिवार का भविष्य अंधकार में जाने की पूर्ण जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की होगी।