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एईएस/जेई की  रोकथाम के लिए स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण

चकिया एवं पकड़ीदयाल अनुमंडल की सेविका, सहायिका, पर्यवेक्षिका का एक दिवसीय प्रशिक्षण

गर्मियों के मौसम बच्चों में चमकी की ज्यादातर रहती है संभावना 

मोतिहारी। जिलाधिकारी के आदेशानुसार व आईसीडीएस डीपीओ के निर्देश पर शुक्रवार को जिले के मधुबन एवं मेहसी के बाल विकास परियोजना कार्यालय के प्रखंड  सभागार में सेविकाओं, सहायिकाओं, एवं पर्यवेक्षिकाओं को एईएस/ जेई की  रोकथाम के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के संबंध में जिले के सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग एवं जिलाधिकारी के आदेशानुसार चकिया, पकड़ीदयाल, मोतिहारी, सिकरहना अनुमंडल क्षेत्र के आईसीडीएस कार्यकर्ताओं को एईएस/जेई की रोकथाम के लिए प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है। ताकि गर्मियों के मौसम में एईएस/जेई के मामलों से बच्चों को सुरक्षित किया जा सके। वहीं प्रशिक्षण में अधिकारियों ने बताया कि गर्मियों में बच्चों को ज़्यादा सावधानी बरतनी आवश्यक है। क्योंकि इसी समय में एईएस/चमकी रोग के बढ़ने की  ज्यादा संभावना बनी रहती है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि अप्रैल से जुलाई तक के महीनों में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की संभावना ज्यादा होती है। यूनिसेफ के धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि चमकी के लक्षण मिलते ही बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल ले आएं, बिल्कुल भी देरी न करें। अस्पताल से दूरी होने पर एम्बुलेंस किराए पर लेकर तुरंत पहुंचे। यात्रा का भाड़ा अस्पताल द्वारा दिया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में चमकी के लक्षणों व उससे बचाव के तरीके बताए गए। वहीं जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि- बच्चे रात में खाली पेट न सोएं। बेवजह धूप में न निकलें। कच्चे, अधपके व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें। उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर ओआरएस के पाउडर व पारासिटामोल की गोली पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखने का निर्देश दिया गया है। ताकि जिले में चमकी के प्रभाव को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि चमकी बुखार से बचाव को जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है। साथ ही मेडिकल टीमों को जन जागरूकता व मेडिकल व्यवस्था के साथ तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। बच्चों के माता-पिता अपने शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहें। समय-समय पर देखभाल करते रहें। बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाएं। उनके हाथों व मुँह की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। वहीं भीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार, सत्यनारायण उराँव, रविन्द्र कुमार ने बताया कि- लगातार तेज बुखार रहना, बदन में लगातार ऐंठन होना, दांत पर दांत दबाए रहना, सुस्ती चढ़ना, कमजोरी की वजह से बेहोशी आना, चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि चमकी के लक्षण हैं ।

चमकी बुखार से बचाव को ये सावधानियां हैं जरूरी

– बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
–  गन्दगी से बचें, कच्चे अधपके व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
– ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
– रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
– बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
–  पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।

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