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जाति कॉलम 22 में ही बंगाली कायस्थ भी “कायस्थ” दर्ज करें : राजीव रंजन प्रसाद

पटना। जीकेसी (ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस) के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने जीकेसी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार सिन्हा से वार्ता के दौरान बताया कि 15 अप्रैल से शुरु होने वाली जाति गणना में सभी कायस्थ यहां तक की बंगाली कायस्थ भी जाति कॉलम 21 में ही “कायस्थ” दर्ज कराएं।

उन्होंने कहा कि भगवान चित्रगुप्त महाराज की दो पत्नी थी देवी शोभावती और देवी नंदिनी। पहली पत्नी देवी शोभावती से 8 पुत्र और दूसरी देवी नंदिनी से 4 पुत्र हुए थे। इस प्रकार भगवान चित्रगुप्त महाराज के कुल 12 पुत्र है। इन पुत्रों को भानु, विभानु, विश्वभानु, वीर्यभानु, चारु, सुचारु, चित्र (चित्राख्य), मतिभान (हस्तीवर्ण), हिमवान (हिमवर्ण), चित्रचारु, चित्रचरण और अतीन्द्रिय (जितेंद्रिय) नाम से नामित है। वर्तमान समय में सभी कायस्थों भिन्न भिन्न उपनाम से जानें जाते है जैसे मल्लिक, दास, बसु, बोस आदि।

राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि बिहार में जाति आधारित जनगणना की शुरुआत 7 जनवरी को हुई थी और अब 15 अप्रैल से दूसरे चरण की गणना शुरु होने जा रही है। पहले चरण में सबसे पहले मकानों की गिनती की गई थी। अब व्यक्तियों की गिनती होगा। जनगणना कार्य में लगाए गए कर्मियों के पास आई कार्ड होगा, जिस पर बिहार जाति आधारित जनगणना लिखा होगा।

उन्होंने कहा कि बिहार में यह जनगणना जातीय आधारित है इसलिए बिहार के कोने-कोने में रहने वाले कायस्थ समाज के लोग भानु, विभानु, विश्वभानु, वीर्यभानु, चारु, सुचारु, चित्र (चित्राख्य), मतिभान (हस्तीवर्ण), हिमवान (हिमवर्ण), चित्रचारु, चित्रचरण और अतीन्द्रिय (जितेंद्रिय) आदि लोग जो बिभिन्न सरनेम के साथ रहते हैं। वे सभी अपनी जाति क्रमांक – 21 में ही कायस्थ दर्ज कराएं। उन्होंने कहा कि जैसा कि सभी को मालूम है कि बिहार में राजनिति में कायस्थो को लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए अब समय आया है कि इस गिनती में एकजुट रहें।

राजीव रंजन प्रसाद ने बिहार के कायस्थ समाज से पुनः अपील किया है कि पहली बार बिहार में हो रहे जाति आधारित गणना में अपनी पूरी जानकारियां उपलब्ध करवाते समय ध्यान पूर्वक जाति वाले कॉलम में “कायस्थ” ही दर्ज करवाएं और विभिन्न उपनाम वाले कायस्थ भी जाति कॉलम क्रमांक 21 में ही “कायस्थ” दर्ज कराएं।

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