सीता तीर्थ क्षेत्र न्यास में सीता नवमी के अवसर पर दो दिवसीय समारोह का आयोजन
खगौल। शुक्रवार को लखनी बिगहा गांव में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के कर कमलों से सुनैना सभागार का लोकार्पण किया गया। उक्त अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों से 8 विभूतियों को सीता सखी सम्मान से सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने सीता के धनुर्धारी वेद अवंती स्वरूप को वर्तमान से जोड़ते हुए स्त्री के नए स्वरूप के रूप में स्थापित करने की बात कही। जिसमें शक्ति और विद्या दोनों को विवेक के साथ साधा जा सकता है। यही सीखने की जरूरत है और इस दिशा में सीता हम सब को एकदम नए संदर्भ में प्रभावित करती है और यही आज के स्त्री के लिए आवश्यक है। सीता हमें हमारे पारिवारिक दायित्व के साथ-साथ बौद्धिक और सामरिक शक्तियों को साधने का भी नाम है। वहीं न्यायमूर्ति मृदुला मिश्रा ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रूप में स्थापित होने के लिए सबसे बड़ी शक्ति के रूप में सीता ही शामिल रही। इसलिए सीता का दुख में जीवन रहा, ऐसा कहने वाले पूरी तरह से गलत कहते हैं। क्योंकि उन्होंने जो कुछ भी कष्ट सहे उसका कारण था और जीवन में जितने भी अवतार हुए किन्हीं का जीवन सुखी नहीं रहा। क्योंकि अवतार होता ही है दुखों को हरने के लिए और जो दुख हरेगा उसे सुख कहां से होगा और ना ही उसे सुख की कामना होगी। सीता को बहन बुआ मान कर उनका मान करने वाले डॉक्टर संजय पासवान जी के इस प्रयास की सबने भूरि भूरि प्रशंसा की। बांस से बने भव्य दिव्य सभागार सह सीता मंदिर को देख सभी दंग थे।