बच्चों को उनकी जुबान और समझ के अनुसार पढ़ाने की जरूरत, बच्चों के भविष्य के लिए लाइफ स्किल और सोशल इमोशनल लार्निंग अहम: सैयद सुलतान अहमद
– राजधानी में आयोजित हुआ लेसन फ्रॉम द कॉरपोरेट वर्ल्ड फॉर स्कूल ऑफ टुमारो कार्यक्रम
– पूरे प्रदेश के 75 से भी ज्यादा स्कूलों के प्रिंसिपल और डायरेक्टर ने लिया हिस्सा
– पैनल डिस्कशन में सारे एक्सपर्ट, प्रिंसिपल ने स्वीकारी नई तकनीक से बच्चों को पढ़ाने की बात
पटना: स्कूल में बच्चों का वक्त बहुत अहम होता है यह वह वक्त होता है जब बच्चे अपने भविष्य की नींव को तैयार कर रहे होते हैं। उन्हें नई तकनीक से पढ़ाने की जरूरत होती है जिससे वह बेहतर तरीके से समझ सके। यह बातें एलएक्सएल आईडियाज बंगलुरु के प्रमुख फैलिसिटेटर और एजुकेटर सैयद सुल्तान अहमद ने शनिवार को राजधानी के लेमन ट्री होटल में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में कही। मेंटर कनेक्ट पटना 2022 ‘ लेसन फ्रॉम द कॉरपोरेट वर्ल्ड फॉर स्कूल्स ऑफ टुमारो’ नामक इस कार्यक्रम में राज्य के 65 से भी ज्यादा स्कूलों के प्रिंसिपल और डायरेक्टर ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम को एलएक्सएल आइडियाज बंगलुरु द्वारा प्राइवेट स्कूल चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के सहयोग से आयोजित किया गया था।
एजुकेशन फील्ड में नए प्रयोग
एलएक्सएल आईडियाज बेंगलुरु के प्रमुख सैयद सुल्तान अहमद ने कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी बच्चों के भविष्य के लिए जरूरी चीज लाइफ स्किल सोशल इमोशनल लर्निंग है। बच्चों को उनकी जुबान में समझाने की जरूरत होती है, जिससे वह आसानी से समझ सके। मैंने दुनिया को पढ़ाने का एक नया तरीका दिया है जिसे फिल्म पेडागोगी कहते हैं। फिल्म पेडागोगी का उपयोग सीखने और सिखाने के लिए किया जाता है। सिनेमा दुनिया का सबसे पॉपुलर मीडियम है लेकिन इस मीडियम का उपयोग केवल एंटरटेनमेंट के लिए किया जाता है। मेरा मकसद एजुकेशन के फील्ड में इसे यूज करने का है। पूरी दुनिया में हमारी एकमात्र कंपनी है जो यह काम करती है। पिछले 10 सालों में हमने इस पर बहुत सारे काम किए हैं। हमारी कंपनी देश की सबसे ज्यादा प्रोड्यूस करने वाली कंपनी है जो बच्चों की शिक्षा पर आधारित है। हमारी फिल्म की क्वालिटी इतनी अच्छी है कि राष्ट्रपति के द्वारा सात बार हम लोगों को राष्ट्रीय अवार्ड से पुरस्कृत किया गया है।
सैयद सुल्तान अहमद ने यह भी बताया कि हमारे प्रोग्राम का नाम स्कूल सिनेमा है। यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो जिसमें स्कूल के अंदर बच्चे सिनेमा देखेंगे और कई सारे इंपॉर्टेंट इसको फिल्म के माध्यम से सीखेंगे। इनमें रिलेशन, बच्चों में आने वाले चैलेंज, मीडिया का इस्तेमाल अभिभावकों का सम्मान करना है। इन सारे विषयों पर फिल्में बनी है। बच्चे स्कूल में फिल्म देखते हैं और देखने के बाद स्कूल सिनेमा वर्क बुक पर अपना डिटेल एनालाइज करते हैं। यह बहुत ही आसान प्रोग्राम है और कोई भी स्कूल इस प्रोग्राम को यूज कर सकता है। यह प्रोग्राम अपने देश में बहुत सक्सेसफुल है और करीब पांच लाख बच्चे इस प्रोग्राम को यूज कर रहे हैं।
सैयद सुल्तान अहमद ने बताया कि बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे, दिल्ली, मुंबई में यह बहुत पॉपुलर प्रोग्राम है। इसे हमें बिहार पटना में लेकर आना है। उन्होंने यह भी बताया कि देश के करीब 50 शहरों के एक हजार स्कूलों में यह प्रोग्राम चल रहा है। पटना की भी तीन-चार स्कूलों के करीब 20 हजार बच्चे इस प्रोग्राम को यूज कर रहे हैं लेकिन हमारा मकसद इसे बढ़ाने का है। हम छोटे शहर में जाना चाहते हैं। हमें इसकी पहुंच सरकारी स्कूलों तक भी करनी है।
उन्होंने बताया कि इस प्रोग्राम के लिए हम पहली बार ऐसा आयोजन कर रहे हैं लेकिन बिहार के और विशेष रूप से पटना के स्कूलों के साथ हमारा सिलसिला करीब 18-20 साल पुराना है। यहां हमने हॉर्लिक्स बिस्किट, यंग वॉइस जैसे प्रोग्राम को भी किया है। कई बड़े-बड़े प्रोग्राम किए जा चुके हैं जो बच्चों और स्कूल के लिए हैं। यहां बड़ी संख्या में बच्चे और स्कूल हमें जानते और पहचानते हैं। हमने एक छोटा सा बदलाव किया है। सिनेमा को दुनिया में एंटरटेनमेंट के रूप में देखा जाता है लेकिन हमने इसे एजुकेशन के रूप में इस्तेमाल किया है। अगले दो-तीन सालों में बिहार हमारा मुख्य केंद्र रहेगा और हम यहां फोकस करेंगे कि हम इस कांसेप्ट को बढ़ाएं और ज्यादा से ज्यादा बच्चों को इसका लाभ दिला सके।
वर्तमान संदर्भ में यह कांसेप्ट अहम
वहीं इस कार्यक्रम में गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में अपनी बात रखते हुए प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने बताया कि सैयद सुल्तान अहमद की तरफ से यह जो कांसेप्ट पूरे देश में यह जो कांसेप्ट आया है, यह अभी के लिए बहुत इसलिए इंपोर्टेंट है। क्योंकि न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 भारत सरकार ने लागू करने के लिए जो घोषणा की है। उसमें इसी कांसेप्ट के माध्यम से बच्चों को पढ़ाना है ताकि बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ एक्टिविटी में भी पार्टिसिपेट करें। उन्हें और भी बेहतर करने में मदद मिलेगी।
सैयद शमायल अहमद ने यह भी कहा कि बिहार में 25 हजार से ज्यादा निजी विद्यालय हैं, जो एसोसिएशन से जुड़े हुए हैं। उन सभी स्कूल के संचालकों के साथ मिलकर बात की जाएगी कि इस कॉन्सेप्ट को अपने स्कूल में फॉलो करें ताकि भारत सरकार के द्वारा जो न्यू एजुकेशन पॉलिसी लाई गई है, उसको कंप्लीट तौर पर अपने विद्यालय में इंप्लीमेंट किया जा सके। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए इस कॉन्सेप्ट से अभिभावकों को भी आसानी होगी। क्योंकि वह अपने बच्चों को समझा सकेंगे कि कैसे बच्चों को अपनी तैयारी करनी है? इसके टीचर्स को भी बहुत आसान हो जाएगा कि वह इस कांसेप्ट के माध्यम से बच्चों को समझाने सकेंगे कि वह कैसे अपने सिलेबस को पूरा कर सकते हैं? सैयद शमायल अहमद ने वहां पर मौजूद बिहार के कोने-कोने से आए स्कूल के संचालक एवं प्रिंसिपल से आग्रह किया कि नई एजुकेशन पॉलिसी को अच्छे तरीके से अपने विद्यालय में लागू करें और सैयद सुल्तान अहमद के द्वारा लाये गए कांसेप्ट को लागू करें। इससे आपके स्कूल और प्रदेश की भलाई होगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नई चीज का विरोध करो सपोर्ट दोनों होता है सरकार जो नई एजुकेशन पॉलिसी लेकर आई है, सैयद सुल्तान अहमद उसे पहले सही कर रहे हैं।
टीचर्स ने भी कहा, अच्छी पहल
इस मौके पर आयोजित एक पैनल डिस्कशन में हिस्सा लेते हुए विभिन्न स्कूलों के टीचर्स ने कहा कि यह एक अच्छी पहल है। पैनल डिस्कशन में प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद, मिलेनियम वर्ल्ड स्कूल पटना की प्रिंसिपल निशी सिंह, दिल्ली पब्लिक स्कूल मुजफ्फरपुर के प्रिंसिपल डॉ मनोज सरीन, उषा मार्टिन स्कूल ट्रस्ट दिल्ली के सीईओ डॉ तरुण सिंघल और मदर टेरेसा विद्यापीठ मुजफ्फरपुर के मैनेजर सतीश कुमार झा ने हिस्सा लिया।
नई तकनीक अपनाने में हर्ज नहीं
पैनल डिस्कशन में अपनी बात रखते हुए डीपीएस मुजफ्फरपुर के प्रिंसिपल डॉ मनोज सरीन ने कहा कि बड़ी इमारतें प्रिंसिपल और टीचर केवल इससे ही स्कूल पूर्ण नहीं हो जाता। हमें नई तकनीक और सभी के लिए सोचना चाहिए। वही मिलेनियम वर्ल्ड स्कूल पटना के प्रिंसिपल निशी सिंह का कहना था कि अगर हम यह सोचेंगे कि प्रिंसिपल ही सब कुछ है तो फिर बदलाव की बात वही खत्म हो जाती है। अगर बदलाव लाना है तो यंग टीम और यंग स्टूडेंट दोनों बहुत अहम होते हैं। जबकि उषा मार्टिन स्कूल ट्रस्ट दिल्ली के सीईओ तरुण सिंघल का कहना था कि स्कूलों के साथ कई तरह की दिक्कतें आती है लेकिन नई तकनीक अगर बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर है तो उसे अपनाने में कोई हर्ज नहीं है। जबकि मदर टेरेसा विद्यापीठ मुजफ्फरपुर के मैनेजर सतीश कुमार झा का कहना था कि एक संस्थान का स्ट्रक्चर कई अन्य दूसरे चीजों पर भी निर्भर करता है। जिसमें स्टडी से लेकर मैनेजमेंट और नई तकनीक के साथ बच्चों की पढ़ाई, सब का अहम स्थान होता है।
पैनल डिस्कशन में प्रिंसिपल, डायरेक्टर और एक्सपर्ट के साथ कनेक्ट होते हुए सैयद सुल्तान अहमद ने कहा कि वक्त बदल रहा है तो सब कुछ बदल रहा है। सभी स्कूल को आज के दौर में सोशल मीडिया एग्जीक्यूटिव और पीआर मैनेजमेंट की जरूरत है। साथ ही साथ टीचर और स्कूल दोनों को तकनीक की अहमियत समझनी होगी।
प्रिंसिपल्स ने कहा, अच्छी है पहल
इस आयोजन में हिस्सा लेने आई डेजावू स्कूल ऑफ इनोवेशन, मुजफ्फरपुर की प्रिंसिपल डॉक्टर स्वाति का कहना था कि ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए। यह हर किसी के लिए हेल्पफुल है। साथ ही इसमें जो ग्रुप डिस्कशन होता है उसे बहुत कुछ जानने का मौका मिलता है। इसी स्कूल से जुड़ी गरिमा विशाल का कहना था कि ऐसे डिस्कशन में एक विजन छुपा रहता है। यह ब्रेन ओपनिंग होता है। आयोजन में हिस्सा लेने सिवान से आए ग्लोबल हाई स्कूल के निदेशक आशीष कुमार ने बताया कि प्रिंसिपल और स्टूडेंट दोनों के लिए यह आयोजन बेहतर है। इससे हर किसी का ग्रोथ होगा। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत पंकज चौधरी के उद्घाटन संबोधन से हुई। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन एडवांटेज सर्विसेज के सीईओ खुर्शीद अहमद ने दिया।