भारत के बंटवारे के सख्त खिलाफ थे स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल क़य्यूम अंसारी
50वीं पुण्यतिथि पर विधान परिषद सभागार में स्मृति समारोह का आयोजन
पटना। महान स्वतंत्रता सेनानी तथा बिहार के पूर्व मंत्री अब्दुल क़य्यूम भारत के बंटवारे एवं पाकिस्तान बनाये जाने के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने मोहम्मद अली जिन्नाह के द्विराष्ट्रीय सिद्धांत का पुरजोर विरोध किया था। उन्होंने मुसलमानों विशेष रूप से पिछड़े वर्गों के विकास के लिए अंतिम सांस तक कार्य किया। उक्त बातें महान स्वत्रंता सेनानी अब्दुल क़य्यूम अंसारी की 50 वीं पुण्यतिथि पर बिहार विधान परिषद सभागार में वक्ताओं ने कहीं। समारोह की अध्यक्षता राज्य के पूर्व मंत्री खालिद अनवर अंसारी ने की। वहीं इस अवसर पर बिहार विधान परिषद के पूर्व कार्यकारी सभापति तथा जनता दल यू सल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सलीम परवेज़ ने कहा कि लोग कहते हैं कि अब्दुल क़य्यूम अंसारी ने क्या किया। मैं पूछता हूँ कि लोगों ने अब्दुल क़य्यूम अंसारी के लिये क्या किया। सलीम परवेज़ ने कहा कि उन्होंने ने क़ौम के लिए बहुत कुछ किया। कारा मंत्री के रूप में उन्होंने मुज़फ़्फ़रपुर जेल में कैदियों की शिक्षा की व्यवस्था की थी। उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस अवसरनपर मांग करता हूँ कि वह बिहार के सभी जेलों में कैदियों की शिक्षा की व्यवस्था ताकि अगर लोग किसी कारण जेल चले गए तो वह शिक्षित होकर बाहर निकलें और भविष्य में दोबारा अपराध न करें।
पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री संजय पासवान ने कहा कि दलित और मुस्लिम एकता समय की आवश्यकता है। अब्दुल क़य्यूम अंसारी ने आने कर्तव्यों को भली भांति निभाया और हर सानुदाय के विकास के लिए जीवन भर प्रयासरत रहे। वहीं इस अवसर पर विधान परिषद सदस्य प्रमोद कुमार, बिहार स्टेट मोमिन कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष तनवीर अंसारी, मौलाना मजहरुल हसन यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति अब्दुल कुद्दूस अंसारी, राजकीय उर्दू पुस्तकालय के अध्यक्ष अरशद फ़िरोज़, बिहार उर्दू अकादमी के पूर्व सचिव शहज़ाद अनवर अंसारी समेत अनेक विद्ववानों तथा राजनीतिज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये एवं स्वर्गीय अब्दुल क़य्यूम अंसारी के कारनामों को याद किया। वहीं इस अवसर पर अब्दुल क़य्यूम अंसारी पर लिखित स्मारिका का भी विमोचन किया गया।