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पर्यावरण संरक्षण महायज्ञ के लिए लेट्स इंस्पायर बिहार संकल्पित

पटना। भारत में वृक्षों की पूजा की जाती हैं। पीपल, नीम, बरगद, पाकड़, बांस, तुलसी की पूजा हम आम जीवन में सहज रूप से देख सकते हैं। वट सावित्री की पूजा, अक्षय तृतीया, तुलसी विवाह, पीपल की जड़ों में जल अर्पित करने की परंपरा सदियों से चली आ रही हैं। हजारों साल से मनुष्य इन परंपराओं को भारत भूमि पर निभाते हुए, वृक्ष की पवित्रता का संदेश विश्व को देते आया है। हजारों साल से ऋषि मुनियों ने वातावरण को शुद्ध करने के लिए, कई विशेष महत्व वाले पौधों की पत्तियां और जड़ों को यज्ञ और पूजा में उपयोग करते आएं हैं। विज्ञान के दृष्टिकोण से देखे तो पेड़ पौधों का जीवन में महत्त्व को समझना और समझाना आसान होगा। वायुमंडल में गैसों का संतुलन, जलवायु नियंत्रण और जीव जंतु का स्वास्थ का मुख्य आधार वृक्ष ही हैं। इस तरह से किसी भी भूभाग के 33 प्रतिशत क्षेत्र में वनों का होना अनिवार्य है। लेकिन, अधिकांश भारत का राज्य वनों के इस मापदंड को पुरा नहीं करते। अत्यंत दुखद आंकड़ा बिहार का है। बिहार का कुल भौगोलिक क्षेत्र – 94,163 वर्ग किमी के मात्र 7288 वर्ग किमी क्षेत्र में वन है। अर्थात मात्र 7.74 प्रतिशत। जो औसत से 25.26 प्रतिशत कम हैं। भारत की आने वाली पीढ़ी के लिए यह बेहद दुखद समाचार है। मानवता खतरे में है। अगर इस समय बिहार के पुत्र सजग होकर इस का समाधान नहीं तलाशेंगे तो स्थितियां भयावह हो जाएगी। लेट्स इंस्पायर बिहार अभियान के मंच से लगातार आईपीएस विकास वैभव पर्यावरण को बचाने के लिए संदेश दे रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए महायज्ञ करने के लिए लेट्स इंस्पायर बिहार संकल्पित हो रहा हैं। बिहार के इस अभियान में सकारात्मक भूमिका में वृक्षमैन बगहा निवासी गजेन्द्र यादव ने आईपीएस विकास वैभव से प्रेरित होकर संकल्प ले लिया है कि जीवन दायनी वृक्षों, यथा नीम, पीपल, पाकड़, महुआ को बिहार में लगाने हेतु बड़े पैमाने पर जन जागरण अभियान आरंभ करेगें। एक व्यक्ति से चली इस यात्रा में बिहार की पूरी जनसंख्या शामिल होंगी। हर हाल बिहार के कुल भूभाग पर 33 प्रतिशत वनों को लगाने हेतु लेट्स इंस्पायर बिहार पर्यावरण संरक्षण महायज्ञ करेगा। कहां भी गया है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। और, मन की शुद्धता पर्यावरण पर निर्भर करता है। तो आइए बिहार में वन को लगाने हेतु लोगों को मिलकर प्रेरित करते हैं।

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