केन्द्रीय बजट में दूरदृष्टि का आभाव : सीएम
केन्द्रीय बजट निराशाजनक, हर वर्ष बदल जाती है बजट की प्राथमिकताएं
जो फोकस और निधि केअभाव में पूरी नहीं हो पा रही
पटना। केन्द्र सरकार द्वारा बुधवार को पेश किये गये आम बजट को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निराशाजनक बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें दूरदृष्टि का अभाव े हर वर्ष बजट की प्राथमिकताएं बदल दी जाती हैं, जो फोकस और निधि के अभाव में पूरी नहीं हो पा रही हैं। बिहार को इस बजट से निराशा हाथ लगी है और एक बार फिर विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग की अनदेखी की गयी है। समावेशी विकास का सपना बिहार जैसे राज्यों को आगे बढ़ाये बिना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि समावेशी विकास के तहत बिहार सरकार ने केन्द्रीय बजट में वित्त मंत्रियों की बैठक में राज्य के लिए 20,000 करोड़ रुपए के स्पेशल पैकेज की मांग की थी जिसे बजट में नहीं दिया गया है। युवाओं के लिये रोजगार सृजन को लेकर बजट में कोई खाका दिखाई नहीं दे रहा है। राज्यों की वित्तीय स्थिति को नजरअंदाज किया गया है। राज्य सरकार की ऋण सीमा वर्ष 2023-24 में कोई छूट नहीं दी गई है। बिहार सरकार ने अपने ज्ञापन में इसे 4 प्रतिशत तक रखने का आग्रह किया था जो पिछड़े राज्यों के विकास में तथा नए रोजगार सृजन में लाभप्रद होता। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय बजट में भारत सरकार ने सात प्राथमिकताओं का निर्धारण किया है। यह योजना केन्द्र सरकार की पूर्व से चल रही योजनाओं की केवल री- पैकेजिंग है। बिहार सरकार पूर्व से ही सात निश्चय के अन्तर्गत वर्ष 2015 से ही नई योजनाओं को सफलता से क्रियान्वित कर रही है इसलिये आम बजट में सात प्राथमिकताओं का आइडिया कोई नई बात नहीं है। कुल मिलाकर बजट में बिहार के लिये कोई प्रावधान नहीं है तथा राज्य के आर्थिक विकास में इससे कुछ लाभ मिलता भी प्रतीत नहीं हो रहा है।