बिहार में सबसे ज्यादा किडनी प्रत्यारोपण करने वाला पहला निजी हॉस्पिटल बना पारस एचएमआरआई
• पारस एचएमआरआई में 55वां किडनी प्रत्यारोपण हुआ
• दिहाड़ी मजदूर के मात्र 22 वर्षीय बेटे की ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस की वजह से दोनों किडनी हो गई थी खराब
पटना। बिहटा के 22 वर्षीय मोहन कुमार (बदला हुआ नाम) निवासी श्रीराम टोला का पारस एचएमआरआई में किडनी का सफल प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) हुआ। मोहन गत तीन वर्ष से डायलिसिस पर था। उसका पेशाब आना बिल्कुल बंद हो गया था। जिसकी वजह बनी किडनी के फिल्टर की सूजन और उसका क्रेटनाइन 10-12 रहता था। ऐसे में किडनी प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प था। लेकिन मोहन के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। ऐेसे में ऑपरेशन का खर्च वहन करना उनके वश की बात नहीं थी। तब एक ओर जहां सरकार से उसे तीन लाख रुपए मदद मिली तो दूसरी तरफ पारस एचएमआरआई ने भी छूट दी और इस तरह मोहन का किडनी ट्रांसप्लांट हो पाया। पारस एचएमआरआई में किडनी रोग विभाग के निदेशक डॉ. शशि कुमार ने कहा कि मोहन की दोनों किडनी ग्लूमरोलोनेफ्राइटिस की वजह से खराब हो गई थी। ऐसे में उसकी मां ने किडनी दी, जिसे प्रत्यारोपित किया गया। उसकी माँ की किडनी को बहुत कम चीरे में लैप्रोस्कोपिक माध्यम से निकाला गया, जिस कारण उन्हे दो दिनों मे ही डिस्चार्ज कर दिया गया और वह सामान्य जीवन यापन कर रही है। अब मरीज भी ठीक है और उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। मरीज का क्रेटनाइन नॉर्मल हो गया है। पारस एच एम आर आई के यूरोलॉजिस्ट डॉ. अपूर्व कुमार चौधरी ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति की दोनों किडनी सही हो तो एक किडनी दान करने से शारीरिक क्षमता में कोई कमी नहीं आती है। डोनर को कोई नुकसान नहीं होता है। वहीं मरीज का जीवन भी सामान्य हो जाता है। वह नॉर्मल जीवन जी सकता है। किडनी प्रत्यारोपण पर यूनिट हेड डॉ. वैभव राज ने कहा कि पारस एचएमआरआई बिहार का एक्सीलेंट सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है। हमलोग इसके स्टैंडर्ड को लगातार बढ़ा रहे हैं ताकि बिहार के लोगों को किसी भी तरह के इलाज के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़े। डॉ. वैभव राज ने कहा कि पारस एचएमआरआई पटना में अब तक 55 सफल किडनी प्रत्यारोपण हो चुके हैं जो बिहार के किसी भी निजी हॉस्पिटल में अब तक हुए सबसे ज्यादा किडनी प्रत्यारोपण मे से एक है। उन्होंने बताया कि 2018 में बिहार में हम एकमात्र पहले हॉस्पिटल थे जिन्होंने किडनी प्रत्यारोपण सुविधा प्रारंभ की। इस प्रत्यारोपण में डॉक्टरों की टीम में किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक कुमार, डॉ. जमशेद अनवर, डॉ. विकास कुमार और डॉ. अंशुमान आशु शामिल रहे।