गायघाट पटना शेल्टर होम की घटना के खिलाफ महिला संगठनों का प्रतिवाद मार्च
पटना के गायघाट शेल्टर होम में लड़कियों के साथ यौन हिंसा , बलात्कार , मार – पीट एवं अमानवीय व्यवहार के खिलाफ महिला संगठनों की ओर आज 8 फरवरी 2022 को बुद्ध स्मृति पार्क से महिलाओं का आक्रोशपूर्ण प्रतिवाद मार्च निकाला गया । जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गायघाट बालिका सुधार गृह में 200 से अधिक निसहाय बच्चियाँ रहती है । उनके देख – रेख , भोजन , दवा तथा अन्य सुविधा के ऊपर सरकार के पैसे खर्च होते है , जिसका पूरा दुरूपयोग समाज कल्याण विभाग से मिलीभगत करके शेल्टर होम की प्रबंधन के द्वारा किया जा रहा है । एक सप्ताह पहले गायघाट शेल्टर होम से किसी तरह एक लड़की निकल कर अपने साथ और अन्य लड़कियों के साथ वहाँ की प्रबंधक वंदना गुप्ता के द्वारा किस तरह मार – पीट , दुर्व्यवहार और यौन शोषण करवाया जाता है मीडिया तथा पटना के डी . एम . एवं एस.पी. को सुनाई इस घटना ने फिर से एक बार बिहार का सिर शर्म से झुका दिया है 2018 में टीस द्वारा उजागर मुजफ्फरपुर बालिका सुधार गृह काण्ड के खिलाफ महिला संगठनों के आंदोलन के बदौलत दोषियों को सजा दिलाई गई । लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो उस घटना पर भी पर्दा डालने की पूरी कोशिश की इस तरह गायघाट शेल्टर होम की घटना के इतने दिन बित जाने के वाबजूद भी मुख्य दोषी वंदना गुप्ता अभी तक गिरफ्तार नहीं हुई है , बल्कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने बिना पीड़िता से मिले फर्जी जांच रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता को ही बदचलन कहकर मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है । इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है अपने स्तर से जाँच करने की बात कही है । ये स्वागत योग्य कदम है । बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओं , महिला सशक्तिकरण का झूठा प्रचार करनेवाले मुख्यमंत्री को शर्म करनी चाहिये । इस सरकार में महिलाएँ असुरक्षित है । दबंगों , सामंतों और भ्रष्टाचारियों का बोलवाला है । इसके खिलाफ समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा महिला संगठनों की सरकार से माँग है कि 1 समाज कल्याण विभाग की तरफ से महिला के चरित्र का मूल्यांकन और परिचय उजागर करने वाला बयान अखबारों में आया है यह गलत है और इस पर कार्रवाई की जाए 2 गायघाट रिमांड होम मामले में संपूर्ण मामले की जांच पटना हाई कोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाकर की जाए 3 रिमांड होम में लड़कियों को जेल की तरह बंद रखने के बजाए सुधार गृह के रूप में लाने के लिए कदम उठाना जरूरी है मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड ने इसे सिद्ध किया है इसके लिए गृह के भीतर स्कूल मानसिक रूप से बीमार के लिए डॉक्टर का इंतजाम किया जाए आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार की ट्रेनिंग की बात तो होती है लेकिन यह कही मुक्कमल नहीं है इसकी व्यवस्था की जाए 4. सुधार गृह में जांच – पड़ताल और संवासिनो से समय – समय पर बातचीत करने के लिए महिला संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की टीम नियमित समय अंतराल में भेजी जाए . 5. महिला संगठनों मानवाधिकार संगठनों को अधिकार हो कि वे जब चाहें सुधार गृह में जा सकें . इसकी अनुमति देने की प्रक्रिया सरल बनाई जाए प्रतिवाद मार्च का नेतृत्व- अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति एडवा के रामपरी , नीलम देवी , अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन ऐपवा की मीना तिवारी , शशि यादव , बिहार महिला समाज की निवेदिता , राजश्री किरण , ए डब्ल्यू एस एफ की आसमां खान , ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन की अनामिका , महिला मौलिक अधिकार मंच के अख्तरी बेगम , सितारा बानो , चन्द्रकांता , सुष्मिता , भारती , महिला विकास मंच से अरूणिमा कुमारी , स्त्री मुक्ति संगठन के आकांक्षा , कोरस के समता राय आदि शामिल हुईं अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन ऐपवा एकता मंच , स्त्री मुक्ति संगठन मेरी पंचायत , मेरी शक्ति निवेदक बिहार वीमेन नेटवर्क बिहार महिला समाज ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन महिला मौलिक अधिकार मंच एक्शन ऐड ए.एस.डब्ल्यू.एफ महिला विकास मंच कोरस