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विश्व में ओमिक्रोन के प्रसार के बाद से पांच लाख लोगों की मौत

वाशिंगटन| विश्व में कोरोना के सबसे अधिक संक्रामक वेरिएंट ओमिक्रोन का पता लगने के बाद से अब तक पांच लाख लोगों की मौत हो चुकी है। मीडिया रिपोर्टों में यह जानकारी दी गई है। वाशिंगटन पोस्ट के आंकड़ों के अनुसार हालांकि अन्य कोविड वेरिएंट की तुलना में हल्के माने जा रहे ओमिक्रोन ने इतने सारे लोगों को संक्रमित किया है कि इससे दैनिक मौतों की संख्या को पिछले वर्ष के इसी समय के आंकड़े को पार कर गई है ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि इनमें से लगभग 100,000 मौतें अमेरिका में हुईं, क्योंकि ओमिक्रोन को पहले हीचिंता का विषय घोषित किया गया था। डब्ल्यूएचओ के आपदा मामलों के प्रभारी अब्दी महमूद ने एक ऑनलाइन प्रश्नोत्तर सत्र में कहा कि प्रभावी टीकों की उपलब्धता को देखते हुए मरने वालों की संख्या दुखद है।

उन्होंने कहा कि ओमिक्रोन के बाद से वैश्विक स्तर पर कोरोना के 13 करोड़ मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉक्टरों और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि ओमिक्रोन 75 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए विशेष रूप से घातक रहा है क्योंकि यह वर्ग टीकाकरण और चिकित्सकीय रूप से कमजोर हैं।

जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ,की महामारी विज्ञानी जेनिफर नुजो ने कहा, यह उन लोगों के लिए काफी परेशान करने वाला लगता है, जिन्होंने माना होगा कि ओमिक्रोन आम तौर पर प्रति-केस स्तर पर कम गंभीर है और इसी के चलते हम भी थोड़े ढीले रहे और कि देश के कम हिस्से का टीकाकरण किया है।

उन्होंने कहा, अगर प्रति केस लोगों को गंभीर दिक्कतें होती है और उनकी मौत हो जाती है तो यह छोटा आंकड़ा भी काफी अधिक हो जाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ में महामारी विज्ञानी जेसन सालेमी ने कहा, युवा लोगों के लिए ओमिक्रोन कम गंभीर हो सकता है, लेकिन यह अभी भी हमारे समुदाय में उम्रदराज लोगों के लिए काफी घातक है।

पिछले हफ्ते डब्ल्यूएचओ प्रमुख ट्रेडोस अधानोम ने कहा था कि दुनिया के कई हिस्सों में कोविड की मौतें बढ़ रही हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी देश के लिएइसके सामने हाथ खड़े करना या कोरोना पर विजय हासिल करने की घोषणा करना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कुछ देशों में एक बात जोर पकड़ती जा रही है कि टीकों के कारण, और ओमाइक्रोन की उच्च संक्रामक दर तथा कम गंभीरता के कारण अब अधिक एहतियात बरतनी जरूरी नहीं है

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