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श्रावणी के सोमवार को शिव की पूजा विशेष फलदायी

कटिहार

सोमवार शिव उपासना को उत्तमदिन माना गया है। श्रावण मास के सोमवार को शिवजी की पूजा-आराधना को विशेष फलदायी शास्त्रों मे बताया गया है।इस दिन भगवान भोलेनाथ को उनका प्रिय बिल्वपत्र,गंगाजल अर्पित किये जाते है। त्रिपर्ण बिल्वपत्र शिव जी का आहार माना गया है।
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम् ।
त्रिजन्मपापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणे।।
रामचंद्र पांडे ने बताया कि बिल्वपत्र के बिना शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है।उन्होंने कहा कि बिल्वाष्ट,एवं शिवपुराण के अनुसार त्रिपर्णक बिल्वपत्र शिव के तीनों नेत्रों के प्रतीक हैं।
बिल्वपत्र से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार देवता व दानव के बीच समुद्र मंथन के क्रम मे हलाहल प्राप्त हुआ था। इस हलाहल का ताप अत्यधिक होने से सृष्टि के जलकर नाश हो जाने से बचाने के लिए भगवान शिव ने स्वयं हलाहल पानकर सृष्टि की रक्षा की ।लेकिन हलाहल के ताप के कारण उनका गला नीला पड़ गया, बिष के दुष्प्रभाव से सदाशिव को उबाड़ने के लिए तब देवताओं ने गंगाजल से अभिषेक व बिल्वपत्र से उनकी उपचार की थी।तब से शिव आराधना मे बिल्वपत्र व गंगाजल को विशेष स्थान प्राप्त है।
शिव को गंगाजल व बिल्बपत्र अर्पण से श्रध्दालुओं की सकल मनोकामनाएं पूर्ण करनेवाली तथा मोक्षदायिनी बताया गया है।

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