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BHU में डॉक्टरों ने किया कोविड मरीजों पर रिसर्च; नहीं हुई एक भी मौत

वाराणसी: यह BHU आयुर्वेदिक औषधि गोझीवाडी क्वाथ है। इसका सेवन सूप, डिप टी, काढ़ा, चटनी या टैबलेट के रूप में तैयार करके कर सकते हैं।काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद की ऐसी ही औषधि पर रिसर्च हुआ है जो कोविड के 11 तरह के स्ट्रेन के खिलाफ कारगर है। डॉक्टरों का दावा है कि तेजी से म्यूटेट हो रहे कोरोना से लड़ने के लिए यह युक्ति काफी कारगर है। इस दवा का इस्तेमाल कोविड के सेकेंड और थर्ड वेव में मरीजों पर हुआ था। इसका नाम है गोझीवाडी क्वाथ। इसका सेवन करने वाला एक भी मरीज नहीं मरा। जबकि, केवल एलापैथी दवा लेने वाले कई मरीजों की जान नहीं बच पाई थी।BHU के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने इस दवा में ‘फाइटोकेमिकल फॉर्च्यूनलिन’ नाम का एक ऐसा माॅलिक्यूल पाया है जो कि कोविड के 11 तरह के प्रोटीन को खत्म कर रहा है। यह रिसर्च अंतरराष्ट्रीय जर्नल “कंप्यूटर्स इन बायोलॉजी” एंड मेडिसिन” में एल्सेवियर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुआ है।कोरोना के टाइम रोगियों को गोझीवाडी क्वाथ की दो डोज रोजाना दी गई। आम तौर पर यह क्वाथ फेफड़ों के संक्रमण और श्वांस संबंधी बीमारियों को दूर करने के लिए दी जाती थी। चूंकि, यही सारे लक्षण कोरोना मरीजों के भी थे। इसलिए, आयुर्वेदिक वैद्य डॉ. परमेश्वरप्पा एस. ब्यादगी और वैद्य सुशील कुमार दुबे की एक टीम ने कोविड-19 रोगियों को गोजीवाडी क्वाथ दिया था। करीब 500 मरीजों को यह दवा दी गई। इसके रिजल्ट सामने आने पर लोग आश्चर्य में पड़ गए। बायोइंफॉरमेटिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव मिश्रा आयुर्वेद की इस दवा पर स्टडी करनी शुरू की।डॉ. राजीव मिश्रा, BHU.इस तरह हुआ दवा का DNA टेस्टडॉ. राजीव मिश्रा ने कहा, ” यह दवा काढ़े के रूप में BHU अस्पताल में कोविड संक्रमण के दौरान रोगियों को दी जा रही थी। यह एक हिंदुस्तान की ट्रेडिशनल मेडिसिन है। हमने यह पता लगाया कि इसका मॉलिक्यूल मैकेनिज्म क्या है। अंदर जो भी अवयव या घटक थे, उनको सबसे पहले बाहर निकाला। हमने 100 से ज्यादा मॉलिक्यूल को निकाला। फिर इसकी स्टडी के लिए कंप्यूटर की जरूरत पड़ी। उसके माध्यम से काम किया गया। यह पहले से पता है कि सार्स कोविड 29 अलग प्रकार के प्रोटीन से बना होता है। जब स्टडी की गई, तो दवा का एक तत्व 11 तरह के प्रोटीन का खात्मा करता है। इसका नाम था ‘फाइटोकेमिकल फॉर्च्यूनलिन’। यदि हम कोरोना के ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन को समाप्त कर पाएंगे, तो कई वैरिएंट से लड़ने में हम सक्षम हो पांएगे। रिकवरी जल्द होगी। मानव कोशिकाओं में इसकी और गहराई से स्टडी की जाए, तो यह कोरोना के कारगर दवा के रूप में काम कर सकती है।”डॉ. सुशील कुमार दुबे, BHU.सुबह-शाम डिप टी करके भी ले सकते हैं दवाडॉ. सुशील कुमार दुबे ने कहा, ”गोझीवाडी क्वाथ पर रिसर्च के बाद पता चला कि इसमें कुल 16 कंटेंट हैं। स्टडी में साइट्रस और दूसरी फाइकस फैमिली के बारे में पता चला। फाइकस में अंजीर का पौधा और साइट्रस फैमिली में नींबू का पौधा था। गोझीवाडी क्वाथ में ये कंटेंट मिलते हैं। औषधि बनाने के पांच तरीके होते हैं। पहला प्लांट का रस, दूसरा टैबलेट या चटनी, तीसरा काढ़ा, चौथा प्लांट को भिगोकर सुबह पीएं और अंतिम तरीका डिप टी की तरह से इस्तेमाल कर लिए। इसमें तीसरा तरीका काढ़े का होता है जो ज्यादा प्रभावी होता है।”क्या है फॉर्च्यूनलिनफॉर्च्यूनलिन, प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक फ्लेवोनोइड है। फ्लेवोनोइड फलों और सब्जियों में मिलने वाले फायदेमंद तत्व होते हैं। इन्हें एंटी-ऑक्सीडेटिव, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-म्यूटाजेनिक और एंटी-कार्सिनोजेनिक उपयोगों के लिए जाला जाता है। कोरोना के प्रोटीन के खिलाफ यह तेजी से काम करता है। फॉर्च्यूनलिन हमे गोझीवादी-क्वाथ के फाइटोकेमिकल घटकों में मिला। इसे साइट्रस फैमिली में मार्गरीटा फल और अन्य फल साइट्रस जपोनिका वेर से निकाला जा सकता है।

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