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राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिलेभर के सीएचओ का प्रशिक्षण आयोजित

20 प्रखंडों के सीएचओ को किया जाएगा प्रशिक्षित

2025 तक टीबी उन्मूलन का रखा गया है लक्ष्य

मोतिहारी। राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सोमवार को सदर अस्पताल स्थित आरटीसी के सभागार में 20 प्रखंडों के चयनित सीएचओ के प्रशिक्षण का आयोजन किया गया । प्रशिक्षण कार्यक्रम के विषय में  अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रंजीत रॉय ने बताया कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु सीएचओ का प्रशिक्षित होना जरूरी है।  तभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर आने वाले संभवित टीबी के मरीजों की पहचान, जाँच व इलाज हो पाएगा। उन्होंने बताया कि तीन दिनों तक प्रशिक्षण चलाया जाएगा। आज के प्रशिक्षण में आदापुर, अरेराज, बंजरिया, बनकटवा, चकिया, छौड़ादानो, चिरैया, ढ़ाका, घोड़ासहन के सीएचओ शामिल हुए हैं। वहीं प्रशिक्षक अरविंद कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि ओपीडी में पहुंचने वाले सर्दी-खांसी मरीजों के बलगम की सीबीनॉट जांच अवश्य कराएं। जांच के उपरांत पाजिटिव पाए जाने पर तत्काल उपचार शुरू करें। जिले के सभी प्रखंडों के अस्पतालों में यक्ष्मा बीमारी की जाँच व दवा नि:शुल्क उपलब्ध है। उन्होंने  बताया कि सरकार व स्वास्थ्य विभाग ने 2025 तक यक्ष्मा के उन्मूलन का लक्ष्य रखा  है, जिसके तहत समय समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है। वहीं अरविंद कुमार व अन्य प्रशिक्षकों ने बताया कि कभी-कभी टीबी के चार लक्षण मिलते हैं। जैसे कफ,बुखार , वजन घटना, रात में पसीने आना। इन सभी लक्षणों के होने पर टीबी की जांच की जाती है। पहले से दवा खाए मरीजों के बलगम की सीबी नट से जांच की जाती है। सही जाँच द्वारा ही एमडीआर का भी पता चलता है। उन्होंने बताया कि टीबी शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है। जैसे  छाती, फेफड़ों, गर्दन, पेट आदि। टीबी का समय पर जांच होना, एवं चिकित्सकों की  देख रेख में इलाज के साथ पूरी दवा का सेवन  बहुत ही आवश्यक होता है। तभी हम इस गंभीर  बीमारी से बच सकते हैं। वहीं मौके पर जिला यक्ष्मा केंद्र के अरविंद कुमार, पोषण योजना प्रभारी ललित कुमार, जपाइगो की जिला प्रतिनिधि डॉ छाया मंडल, सभी सीएचओ व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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