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क्‍या भारत-चीन के तल्‍ख रिश्‍तों में आएगी नरमी? मोदी-चिनफ‍िंग को निकट लाने में जुटे पुतिन, US-पाक पर क्‍या होगा असर

नई दिल्ली। रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के बाद अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि भारत-चीन के बीच तल्‍ख रिश्‍तों के सुधार में रूस एक बड़ी पहल कर सकता है। पुतिन के स्‍वदेश लौटने के बाद रूसी राष्‍ट्रपति ने ऐसे संकेत दिए हैं, जिससे यह कयास तेज हो चली है। पुतिन के इन संकेत पर अमेरिका की पैनी नजर होगी। पुतिन की यात्रा के समय यह सवाल उठे थे कि क्‍या रूसी राष्‍ट्रपति भारत-चीन सीमा विवाद सुलझाने में एक सेतु का काम कर सकते हैं ? ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्‍या पुतिन की मदद से भारत-चीन सीमा विवाद सुलझ सकता है ? भारत-चीन सीमा विवाद सुलझने के क्‍या मायने होंगे ? इसका दक्षिण एशिया एवं दुनिया पर क्‍या असर होगा ? इसका भारत और अमेरिका के संबंधों पर क्‍या असर होगा ? क्‍या इससे दुनिया में एक नया शक्ति संतुलन स्‍थापति होगा ? इसके क्‍या बड़े मायने होंगे ?

मोदी-चिनफ‍िंग की बैठक के क्‍या होंगे निहितार्थ

1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान निश्चित रूप से दोनों देश एक दूसरे के और निकट आए। इस मायने में यह ऐतिहासिक यात्रा थी। उन्‍होंने कहा कि उस वक्‍त दोनों देशों के बीच भारत-चीन सीमा विवाद कोई सार्वजनिक एजेंडा नहीं था। अलबत्‍ता, देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-चीन सीमा विवाद को अपने रूसी समकक्ष के साथ उठाया था। उन्‍होंने भारत-चीन सीमा विवाद पर अपनी चिंता जाहिर की थी। भारत ने यह चिंता इस उम्‍मीद से जाहिर की थी कि मौजूदा समय में रूस और चीन के मधुर संबंध हैं। हालांकि, उस वक्‍त रूसी प्रतिनिधिमंडल ने भारत की इस चिंता पर कोई खास या ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी थी

2- उन्‍होंने कहा कि पुतिन की यात्रा के दौरान निश्चित रूप से भारत को यह अपेक्षा रही होगा कि चीन सीमा विवाद को सुलझाने में रूस एक मनोवैज्ञानिक दबाव बना सकता है। इस उम्‍मीद से भारत ने चीनी प्रतिनिधिमंडल के समक्ष यह बात रखी भी थी। लेकिन पुतिन के स्‍वदेश लौटने के बाद यह चर्चा है कि रूस भारत और चीन सीमा विवाद को सुलझाने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत होगी

3- प्रो. पंत ने कहा कि अगर ऐसा होता है कि इसके बड़े कूटनीतिक निहितार्थ होंगे। इसका सीधा असर दुनिया के अन्‍य संबंधों पर पड़ेगा। खासकर इसकी आंच भारत और अमेरिका संबंधों तक पहुंचेंगी। इसकी बड़ी वजह यह है कि भारत-चीन सीमा विवाद के चलते दोनों देश एक दूसरे के निकट आए। अगर पुतिन भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने में सकारात्‍मक भूमिका अदा करते हैं तो अमेरिका को यह बात अखर सकती है। भविष्‍य में रूस और भारत की दोस्‍ती और भी गाढ़ी हो सकती है।

4- उन्‍होंने कहा अगर ऐसा होता है तो इसकी आंच पाकिस्‍तान तक पहुंचेगी। चीन के जरिए पाकिस्‍तान रूस के निकट आने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में पुतिन भारत-चीन सीमा व‍िवाद सुलझाने में दिलचस्‍पी लेते हैं तो पाक‍िस्‍तान अलग-थलग पड़ सकता है। इससे पाकिस्‍तान का रवैया भारत के प्रति नरम पड़ सकता है।

पुतिन के प्रयास से मोदी और चिनफ‍िंग के बीच बैठक के संकेत

1- गौरतलब है कि लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन सीमा पर जारी तनाव के बीच रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन के प्रयास से पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग के बीच लंबे समय बाद मुलाकात हो सकती है। रूसी राष्‍ट्रपति के सहायक यूरी उशाकोव ने बताया कि रूस, चीन और भारत के बीच शिखर बैठक निकट भविष्‍य में होने की उम्‍मीद बढ़ी है। रूसी राष्‍ट्रपति कार्यालय के प्रवक्‍ता उशाकोव ने कहा, ‘रूस-भारत-चीन (RIC) फार्मेट में सहयोग के विषय पर चर्चा हुई है।

2- उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब शी जिनपिंग और पुतिन के बीच एक घंटे से ज्‍यादा समय तक बातचीत हुई है। पुतिन और चिनफ‍िंग दोनों ही इस संबंध में विचारों के आदान-प्रदान को आगे भी जारी रखने पर सहमत हुए हैं और निकट भविष्‍य में RIC फार्मेट में शिखर बैठक के लिए प्रयास हो सकते हैं। तीनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच आरएसी की अंतिम बैठक जून 2019 में हुई थी। यह जी-20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान ओसाका में हुई थी। शंघाई सहयोग संगठन के ढांचे के तहत सहयोग करने पर विस्‍तृत चर्चा हुई है।

3- बता दें कि लद्दाख में चीनी घुसपैठ और गलवान हिंसा के बाद भारत और चीन के बीच संबंध रसातल में चले गए हैं। रूस भारत और चीन के बीच विवाद और तनाव को कम करने की कोशिश कर रहा है। भारत ने पुतिन की यात्रा के दौरान रूस के साथ 2+2 वार्ता में लद्दाख में चीन की आक्रामकता का मुद्दा उठाया था।

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