ब्रेकिंग
जहानाबाद दोहरे हत्याकांड में सात आरोपियों को सश्रम आजीवन कारावास डोनियर ग्रुप ने लॉन्च किया ‘नियो स्ट्रेच # फ़्रीडम टू मूव’: एक ग्रैंड म्यूज़िकल जिसमें दिखेंगे टाइगर श... छात्र-छात्राओं में विज्ञान के प्रति रुचि जागृत करने हेतु मनी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस राबड़ी, मीसा, हेमा यादव के खिलाफ ईडी के पास पुख्ता सबूत, कोई बच नहीं सकता “समान नागरिक संहिता” उत्तराखंड में लागू - अब देश में लागू होने की बारी नगरनौसा हाई स्कूल के मैदान में प्रखंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का हुआ आयोजन पुलिस अधिकारियों व पुलिसकर्मियों को दिलाया पांच‌ प्रण बिहार में समावेशी शिक्षा के तहत दिव्यांग बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ : राधिका जिला पदाधिकारी ने रोटी बनाने की मशीन एवं अन्य सामग्री उपलब्ध कराया कटिहार में आरपीएफ ने सुरक्षा सम्मेलन किया आयोजित -आरपीएफ अपराध नियंत्रण में जागरूक करने के प्रयास सफ...

पने अपने ही घरों में फंसे नरेंद्र-नरोत्तम, केपी-गोविंद

ग्वालियर। दीपावली पर एक दिन के विश्राम के बाद फिर विधानसभा चुनाव का संग्राम शुरू हो गया। चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में पहुंचने के साथ चरम बिंदु पर है। ग्वालियर-चंबल अंचल में दिमनी से चुनावी समर में उतरे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, लहार विधानसभा क्षेत्र से नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह, दतिया से प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और चुनाव क्षेत्र बदलकर शिवपुरी से चुनाव लड़ने के लिए आए पूर्व मंत्री केपी सिंह के चुनाव पर प्रदेश की निगाहें टिकी हैं। चारों दिग्गज फिलहाल अपने-अपने क्षेत्रों में फंसे नजर आ रहे हैं। दोनों दल भी एक दूसरे के दिग्गजों को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अंचल में हर कोई पूरे चुनावी परिदृश्य पर चर्चा करने की बजाय एक ही सवाल पूछता है कि नरेंद्र सिंह तोमर, डा. गोविंद सिंह, नरोत्तम मिश्रा व केपी सिंह की क्या स्थिति है। चारों दिग्गज अपने-अपने क्षेत्रों से अधिक से अधिक मतों से जीतने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। मतादाताओं की खामोशी ने इन दिग्गजों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

लहार में भी डा. गोविंद सिंह को मिल रही है कड़ी चुनौती

भिंड जिले का लहार विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष डा गोविंद सिंह का अभेद दुर्ग माना जाता है। गोविंद सिंह अब तक यहां से अजेय रहे हैं। किंतु लहार में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति निर्मित हो जाने के कारण वे फंसे नजर आ रहे हैं। भाजपा ने अंबरीश शर्मा गुड्डू को कांग्रेस प्रत्याशी को घेरने के लिए मैदान में उतारा है। अंबरीश शर्मा ने पिछला चुनाव बसपा से लड़ा था और भाजपा ने रसाल सिंह को टिकट दिया था। इस बार भाजपा से बगावत कर रसाल सिंह बसपा से मैदान में हैं। डा. गोविंद सिंह को भाजपा व बसपा से कड़ी टक्कर मिल रही है। स्थिति पूर्व में हुए अन्य चुनावों की तरह स्पष्ट नहीं है। डा. गोविंद सिंह को जीत के दरवाजे तक पहुंचाने के लिए पसीने के साथ-साथ हर चुनावी हथकंडा अपनाना पड़ रहा है।

नरोत्तम मिश्रा को कांग्रेस ने घेरा

दतिया में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को घेरने में कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ रही है। नरोत्तम मिश्रा भाजपा के संकटमोचक माने जाते है। पहले भाजपा से कांग्रेस में अवधेश नायक को टिकट दिया था। राजेंद्र भारती व उनके समर्थकों के विरोध के सामने झुकते हुए टिकट बदलकर फिर से राजेंद्र भारती को थमा दिया। मुकाबला कांटे का बताया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ व दिग्विजय सिंह से लेकर अपने हर दिग्गज को कांग्रेस दतिया भेज रही है। प्रियंका गांधी का रोड शो व सभा भी दतिया में प्रस्तावित है। कांग्रेस के दतिया में पूरा जोर लगाने से मुकाबला कांटे की टक्कर में फंस गया है। दोनों दल जीत के लिए जोर लगा रहे हैं।

दिमनी से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सामाजिक समीकरणों में उलझ रहे

भारतीय जनता पार्टी ने चंबल अंचल की सीटों की प्रभावित करने के लिए भाजपा ने प्रदेश चुनाव संचालन समिति के संयोजक व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को अप्रत्याशित रूप से उनके गृह जिले व संसदीय क्षेत्र की दिमनी सीट से मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री के सजातीय रविंद्र सिंह तोमर भिड़ोसा को मैदान उतारा है। रविंद्र सिंह तोमर इस सीट से कांग्रेस से विधायक है। बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व विधायक बलवीर सिंह दंडोतिया को टिकट देकर दिमनी विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति निर्मित कर दी है। कुल मिलाकर दिमनी का चुनावी मुकाबला रोचक दौर में पहुंच गया है। दिमनी सीट पर कांटे की टक्कर नजर आ रही है। नरेंद्र सिंह को भाजपा से मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं कि दिमनी से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जीत अब सहज नही हैं। यहां उन्हें कांग्रेस व बसपा से कांटे की टक्कर मिल रही है।

घर की सुरक्षित मांद से निकल मुश्किल में केपी सिंह

महाराज और राजा के बीच चल रहे शह और मात के खेल में पूर्व मंत्री केपी सिंह अपने अभेद दुर्ग से बाहर निकलकर चुनावी समर में फंसा जरूर महसूस कर रहे हैं। पिछोर में केपी सिंह का चुनाव मैदान में होना जीत की गारंटी होती थी। इस बार कांग्रेस ने भाजपा के अभेद दुर्ग को जीतने के लिए शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से चुनावी समर में उतारा है। हालांकि इस बार यशोधरा राजे सिंधिया के स्वास्थ्य के कारण चुनाव मैदान नहीं होने के कारण केपी सिंह को कुछ राहत मिली है। भाजपा ने इस बार देवेंद्र जैन पत्ते वाले को चुनाव मैदान में उतारा है। यहां से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव लड़ाए जाने की उम्मीद पर ही केपी सिंह को चुनाव क्षेत्र कांग्रेस ने बदला था। महल के सामने भी अपनी परंपरागत सीट को बचाने के लिए बड़ी चुनौती है। कुल मिलाकर केपी सिंह की विधानसभा पहुंचने की राह पहले की तरह आसान नही हैं।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.