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क्या छह साल बाद घर वापसी करने जा रहे हैं हरक सिंह रावत, कांग्रेस के टिकट पर यहां से लड़ सकते हैं चुनाव

देहरादून। उत्तराखंड की भाजपा सरकार के वरिष्ठ मंत्री डा हरक सिंह रावत बड़ा धमाका करते, इससे पहले ही भाजपा ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब यह लगभग तय है कि वह छह साल बाद कांग्रेस में वापस लौट रहे हैं। सूत्रों के अनुसार हरक ने कांग्रेस के समक्ष दावा किया है कि वह लैंसडौन और डोईवाला सीट कांग्रेस की झोली में लाकर डाल देंगे। पिछली बार दोनों ही सीटें भाजपा ने जीती थीं।

हरक सिंह रावत मार्च 2016 में आठ अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस से भाजपा में आए थे। भाजपा ने उन्हें टिकट दिया और सत्ता में आने पर मंत्री भी बनाया। त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद तीरथ सिंह रावत व पुष्कर सिंह धामी सरकार में भी वह मंत्री रहे। यह बात अलग है कि वह पिछले पांच साल के दौरान तमाम कारणों से ज्यादा चर्चा में रहे। कभी तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ मतभेद तो कभी नौकरशाही के साथ टकराव को लेकर उन्होंने सुर्खियां बटोरी। ऐसे भी कई मौके आए, जब अटकलें लगीं कि हरक भाजपा छोड़कर कांग्रेस में लौटने जा रहे हैं।

पिछले ही महीने कोटद्वार मेडिकल कालेज से संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट में न लाए जाने से नाराज हरक इस्तीफे की धमकी दे बैठक छोड़कर चले गए थे। मुख्यमंत्री धामी के हस्तक्षेप के बाद लगभग 24 घंटे चले इस ड्रामे का पटाक्षेप हुआ। इस बार चुनाव के समय हरक सिंह रावत ने तीन टिकटों की मांग कर भाजपा को पसोपेश में डाल दिया। वह स्यं केदारनाथ, यमकेश्वर या डोईवाला से चुनाव लड़ना चाहते थे और अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के लिए लैंसडौन सीट से टिकट मांग रहे थे। इसके अलावा परिवार के एक अन्य सदस्य के लिए भी टिकट की मांग उन्होंने रखी।

भाजपा उन्हें केदारनाथ सीट से प्रत्याशी बनाने को तैयार भी हो गई थी। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक अनुसार हरक सिंह रावत का नाम दो सीटों कोटद्वार व केदारनाथ से पैनल में शामिल किया गया। पेच फंसा हरक की पुत्रवधू समेत दो अन्य टिकटों के मामले में। इसके अलावा लैंसडौन सीट से भाजपा विधायक महंत दिलीप रावत ने भी हरक के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया था, लेकिन हरक किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं हुए।

हरक सिंह रावत शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे और शनिवार शाम उन्होंने देहरादून वापसी की। स्वयं हरक ने इसकी पुष्टि की। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान उनकी कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं से बात हुई और कांग्रेस में वापसी की भूमिका भी तैयार कर ली गई। रविवार को हरक फिर दिल्ली पहुंच गए। वह भाजपा के केंद्रीय नेताओं से भेंट करते, इससे पहले ही उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के 45 से 50 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय होने के बाद भी सूची जारी नहीं की गई तो इसका एक बड़ा कारण हरक सिंह रावत भी रहे।

ताजा राजनीतिक परिस्थितियों में माना जा रहा है कि कांग्रेस में लौटने पर पार्टी उन्हें डोईवाला सीट से प्रत्याशी बना सकती है। उनकी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को भी लैंसडौन से कांग्रेस का टिकट दिया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस का एक गुट हरक की कांग्रेस में वापसी के लिए पुरजोर पैरवी कर रहा है। इसके लिए उच्च स्तर से दबाव डलवाकर प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत को भी राजी करने की कोशिश की गई।

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