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ये कैसे डाॅक्टर हैं, इंसान की जान का मोल नहीं समझते

आयोग ने कहा – कलेक्टर एवं सीएमएचओ छतरपुर मामले की जांच कराकर दो सप्ताह में दें जवाब

छतरपुर   जिला अस्पताल छतरपुर में इंसान की जान की क्या कीमत है, इसका अंदाजा तब हुआ, जब 27 वर्षीया महिला अस्पताल में एक साधारण से नसबंदी आॅपरेशन में हुई लापरवाही के दौरान अपनी जिंदगी गवां बैठी। महिला का आॅपरेशन बीते बुधवार को डा. गीता चैरसिया के द्वारा किया जा रहा था। इसी दौरान अत्यधिक रक्त बहने के कारण डाॅक्टरों ने आॅपरेशन को बीच में ही छोड़कर उसके पति को बुलाकर महिला को ग्वालियर रैफर कर दिया। मऊरानीपुर तक पहुंचते ही महिला ने दम तोड़ दिया। इस मामले में पति ने डाक्टरों पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुये सिटी कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई है। इस गंभीर मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, छतरपुर से दो सप्ताह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है। आयोग द्वारा इन अधिकारियों से पूछा गया है कि-

01. जिला अस्पताल में ब्लड बैंक की क्या स्थिति है ?

02. ग्वालियर रैफर करने के बजाये वहीं पर ब्लड की व्यवस्था क्योें नहीं की गई ? परिवारजन से या प्रायवेट धर्मार्थ संस्थान आदि से।

03. क्या मृतिका के उत्तराधिकारी को कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं ?

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