पुलवामा में कश्मीरियत और सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश, दिवंगत कश्मीरी पंडित महिला की अंत्येष्टि में किया सहयोग
श्रीनगर। कश्मीर घाटी में मुस्लिम समुदाय ने कश्मीरियत और सांप्रदायिक सौहार्द की अपनी परंपरा को जिंदा रखते हुए पुलवामा में एक दिवंगत कश्मीरी पंडित महिला की अर्थी को कंधा दिया। उन्होंने उसकी अंत्येष्टि में भी पूरा सहयोग किया।
यहां मिली जानकारी के अनुसार, पुलवामा जिले के टहाब में रहने वाली उषा देवी पत्नी महाराज पंडित का शुक्रवार को देहांत हो गया था। महाराज पंडित एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मी हैं और वह अपने पुश्तैनी मकान में ही रह रहे थे। शुक्रवार को उषा देवी का निधन हो गया। उसके निधन की खबर फैलते ही सभी पड़ोसी उनके घर में जमा हो गए। स्थानीय मुस्लिमों ने उषा देवी की अंत्येष्टि का पूरा प्रबंध किया। उन्होंने उसकी अर्थी काे भी कंधा दिया। मोहम्मद जब्बार नामक एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि कश्मीरी पंडित और कश्मीरी मुस्लिम एक ही हैं, सिर्फ हमारा मत अलग-अलग है। हम यहां सदियों से आपस में मिल जुलकर रहते आए हैं, यही हमारी तहजीब और कश्मीरियत है।
महाराज पंडित ने कहा कि मेरा एक बेटा और एक बेटी हैं। दोनों की शादी हो चुकी है। मेरी बीवी का जब देहांत हुआ तो पूरा गांव मेरे घर जमा हो गया। अगर मेरे पड़ोसी इस वक्त मेरा साथ न देते तो मेरे लिए अपनी दिवंगत पत्नी का दाह संस्कार करना भी मुश्किल हो जाता। उन्होंने कहा कि मुझे कभी नहीं लगा कि मैं यहां अल्पसंख्यक हूं। यहां मुझे या मेरे परिवार को जब कभी कोई मामूली सी भी दिक्कत हो जाए तो पूरा गांव हमारे साथ खड़ा हो जाता है।
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