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पान मसाला,गुटखा और चबाने वाले सुगन्धित तम्बाकू (एसएलटी) उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की उठी मांग

सीड्स सहित देश के विभिन्न सामाजिक संस्थानों ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

मधुबनी-तंबाकू नियंत्रण के मुद्दे पर बिहार और झारखण्ड में पिछले एक दशक से अभियान चलाने वाली संस्था सोसिओ इकनोमिक एंड एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसाइटी (सीड्स)के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश के भविष्य खासतौर पर युवाओं और अवयस्कों की चिंता करते हुए पुरे देश में पान मसाला, गुटखा और चबाने वाले सुगन्धित तम्बाकू (एस एल टी) उत्पाद बनाने वाले उद्योगों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाये जाने की मांग की है। दीपक मिश्रा ने बताया कि तम्बाकू उपयोग के कारण हर साल विश्व स्तर पर लगभग 80 लाख लोगों और भारत में 13.5 लाख से अधिक भारतीयों की मृत्यु होती है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे रिपोर्ट 2017 (गैट्स 2) के अनुसार भारत में लगभग 27 करोड़ लोग तंबाकू का उपयोग कर रहे हैं, जिनमें से 20 करोड़ सुगन्धित तम्बाकू, गुटखा और पान मसाला सहित चबाने वाले तंबाकू (एस एल टी) उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं। तम्बाकू सेवन देश की उत्पादकता और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। कैंसर विषेशज्ञों के मुताबिक लगभग 90 प्रतिशत मुँह का कैंसर तम्बाकू सेवन करने वाले व्यक्तियों में होता है।
तंबाकू उत्पाद के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने की मांग:
मिश्रा ने बताया कि पान मसाला उद्योग भोले-भाले उपभोक्ताओं खासतौर पर युवाओं और अवयस्कों को लुभाने के लिए सिनेमा जगत के सितारों के माध्यम से व्यापक रूप से अपने उत्पाद की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए दुर्भावनापूर्ण इरादे से विज्ञापन कर रहे हैं। इस तरह के विज्ञापन जो न केवल उपभोक्ताओं को जानलेवा उत्पाद के लिए उनके पैसे लूट रहे हैं बल्कि उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे भ्रामक विज्ञापनों पर अविलंब प्रतिबन्ध लगाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि विगत वर्षों में बिहार एवं झारखण्ड सरकार ने पान मसाला के विभिन्न ब्राण्डों के नमूनों की जाँच करवाया था जिसमें मैग्नीशियम कार्बोनेट और निकोटिन की मात्रा पाई गई थी जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक रसायन है। दोनों राज्य सरकारों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर उक्त पान मसाला ब्राण्डों को प्रतिबंधित करने का आग्रह करते हुए अपने प्रदेश में इसे प्रतिबंधित कर दिया था।
करोड़ों की होती है टैक्स की चोरी :
तम्बाकू उद्योग वाले टैक्स की चोरी कर सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये के राजस्व की क्षति पंहुचा रही है। मिश्रा ने पिछले वर्ष विगत 08 फरवरी, 2021 को संसद में पूछे गए प्रश्न पर वित्त मंत्री के उत्तर का हवाला देते हुए बताया की विभिन्न राज्यों में स्थित 100 करोड़ या उससे ज्यादा टैक्स की चोरी के मामले में करीब 20 कम्पनियां तंबाकू उद्योग के कारोबार से जुड़ी हुई थी। उन्होंने बताया कि तम्बाकू उत्पादों खास तौर पर पान मसाला और चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का बड़े पैमाने पर अवैध और बेहिसाब व्यापार होता है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के कानपुर और कन्नौज में डीआईजी की छापामारी में पान मसाला व अन्य तंबाकू उत्पादों के व्यापारियों के पास से मिले बेहिसाब अरबों रूपये की बरामदगी इस बात का सुबूत है।

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