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उज्जैन के इंंजीनियर ने उठाया जंगल बचाने का बीड़ा किए ऐसे अनुकरणीय प्रयास

 उज्जैन। हरे-भरे जंगलों में घूमना-फिरना यूं तो अमूमन सबको पसंद होता है, मगर कुछ विरले ही लोग होते हैं जो शासन-प्रशासन का अंग न होकर भी जंगलों की देखभाल करते हैं। उन्हें बचाने के लिए जतन करते हैं।

ऐसे ही शख्स हैं उज्जैन के साफ्टवेयर इंजीनियर हकीमुद्दीन अस्कोफेनवाला, जिन्होंने वायु गुणवत्ता सुधार के लिए उज्जैन में वृहद स्तर पर पौधाराेपण कराने के लिए आरक्षित 142 स्थानों पर फैली 422 हेक्टेयर शासकीय जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने का बीड़ा उठाया है।

अपनी मुहिम को साकार करने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में याचिका भी लगाई है। याचिका पर सुनवाई 6 जुलाई 2023 होना है, पर उसके पहले असर दिखाई देने लगा है।

हकीमुद्दीन के पर्यावरण प्रेम का सम्मान रखने को प्रशासन ने हाल ही में घटि्टया तहसील के गांव सोडंग में पौधारोपण के लिए आरक्षित 80 लाख रुपये की 11.96 हेक्टेयर शासकीय जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराई और वन विभाग को पौधारोपण के लिए हस्तांतरित की।

वो जमीन जिस पर कई वर्षों से 16 किसान खेती कर रहे थे। इसके पहले हकीमुद्दीन के प्रयास से उज्जैन शहर में जंगली जानवरों एवं पक्षियों के पंख, नाखु, दांत आदि का विक्रय भी प्रतिबंधित हुआ था।

विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के मौके पर ने हकीमुद्दीन अस्कोफेनवाला से उनके पर्यावरण प्रेम और प्रयास पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि बचपन से जंगल देखने-घूमने फिरने का शौक है। 10 वर्ष पहले महसूस हुआ कि जंगल या वनों में घूमना-फिरना सबको पसंद हैं मगर इनकी रक्षा और इनका दायरा बढ़ाने की चिंता हर कोई नहीं पालता। मन किया चलो मैं ही करता हूं।

इसकी शुरूआत ‘वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया’ से जुड़कर की। सबसे पहले उज्जैन और आसपास के क्षेत्र में जंगली जानवरों एवं पक्षियों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने को कदम उठाया। फिर वायु गुणवत्ता सुधार के लिए वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए काम करने का निश्चित किया।

इस कार्य के लिए सबसे पहले पता किया कि उज्जैन में आखिर कितना वन क्षेत्र है और कितनी जमीन नए जंगल या वन क्षेत्र विकसित करने के लिए शासन के पास उपलब्ध है। भू-अभिलेख शाखा से पता चला कि उज्जैन जिले के केवल 0.69 प्रतिशत भू-भाग पर ही वन क्षेत्र है।

पौधारोपण करने को 142 स्थानों पर कुल 422 हेक्टेयर जमीन वृहद पौधारोपण के लिए आरक्षित है पर ज्यादातर जमीन पर अतिक्रमण है। निजी स्तर पर जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर वहां वृहद पौधारोपण कराना मुमकिन नहीं था। इसलिए एनजीटी में अपील दायर की। इसका असर यह हुआ कि जवाब देने को प्रशासन ने पौधारोपण के लिए आरक्षित जमीन पर अतिक्रमण कर बैठे लोगों को हटने का नोटिस जारी किया। कईयों पर एक-एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगा। कार्रवाई आगे भी जारी है।

वायु प्रदूषण का ग्राफ बढ़ा, एक्यूआइ 179 पहुंचा

उज्जैन शहर में वायु प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) रविवार को 179 पहुंचा, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं (अनहेल्थी) माना गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक्यूआइ 50 से कम ही बेहतर माना है। कारण, आबादी और इंन्फ्रास्ट्रक्चर के मान से हरित क्षेत्र का घटना है।

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