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शिप्रा नदी में कच्चा बांध बहने के बाद संतों का फूटा आक्रोश, धरने पर बैठे

उज्जैन। कान्ह नदी में सोमवार को उफान आने और मिट्टी का कच्चा बांध टूटने के बाद मंगलवार को कुछ साधु-संत त्रिवेणी घाट क्षेत्र पहुंचे। शिप्रा की स्थिति देखकर साधु-संतों ने आक्रोश जताया और वहीं धरने पर बैठ गए। उल्लेखनीय है कि कान्ह का पानी शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए जल संसाधन विभाग ने पिछले महीने पिपल्याराघो स्टाप डैम पर बोरी बंधान कर स्टाप डैम की ऊंचाई बढ़ाई थी। चार दिन पहले ही त्रिवेणी घाट के समीप गोठड़ा गांव में मिट्टी का कच्चा बांध भी बनाया था। इस बार बांध की ऊंचाई भी पहले की अपेक्षा दोगुना रखी थी।

जल निकासी के लिए बांध में आठ इंची चार पाइप भी डाले थे। बावजूद सोमवार को जब कान्ह में उफान आया तो पानी स्टापडेम से उछलकर कच्चे बांध को तोड़कर शिप्रा में मिल गया। इससे मकर संक्रांति स्नान के लिए शिप्रा में भरा नर्मदा का सारा स्वच्छ जल भी खराब हो गया।

उज्जैन में पहले शनिश्चरी अमावस्या पर भी टूटा था बांध

इसके पहले शनिश्चरी अमावस्या (4 दिसंबर-2021) के दिन भी कान्ह में उफान आने से गोठड़ा में बनाया मिट्टी का कच्चा बांध टूटा था। उल्लेखनीय है कि नर्मदा-शिप्रा के शुद्ध संगम जल में पर्व स्नान कराने के लिए साल-2016 के बाद से जल संसाधन विभाग हर साल गोठड़ा में दिसंबर या जनवरी में मिट्टी का कच्चा बांध बनाता आया है। यह बांध कुछ दिनों में टूटता भी रहा है। यह पहली बार है जब इस साल दो महीनों में दो बार विभाग को कच्चा बांध बनाना पड़ा है।

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